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दफ़्तर के गेट के बाहर अपनी स्कूटी निकाल ही रही थी कि एक बूढ़ी भिखारिन ने अपना भीख का कटोरा उसके आगे कर दिया ।वह उसे देखते ही पहचान गई , क्योंकि उसके मौहल्ले में भी अक़्सर वह भीख माँगा करती थी । उसने  चिल्लर कटोरे में डाल कुछ अनुमानते हुए चोर नज़रें उसके पैरों पर टिका दीं ।  

" ये क्या ? फिर नंगे पैर ? वो चप्पल कहाँ हैं , जो परसों ही मैंने पहनने को दी थीं ?

" घर रख दी बाईजी । उसी रोज़ कहा था , पैसा-लत्ता दे दो बस । पर आप मानी ही नहीं । "

" एक तो तुम्हारे बुढ़ापे पे तरस खा सिर्फ दो बार पहनी कीमती चप्पलें झट उठाके दे दीं , और तुम हो कि ...।"

" नाहक़ गुस्सा होती हैं बाईजी ।पापी पेट का सवाल है । जिसके पैर मखमल पे खड़ें हों उसे भीख कौन देगा भला ।"

मौलिक व अप्रकाशित ।

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Comment by shashi bansal goyal on September 13, 2015 at 6:58pm

kashma chahti hun aadarneey rajesh kumari ji ... darasal vah laghukatha itne farmeton me chhapkar prasarit ho chuki hai ki link dhoondh paana asambhav hai . sadar .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 10, 2015 at 2:19pm

प्रिय शशि बंसल जी ,आपका कमेन्ट आज ही पढ़ा है सुनकर खराब लगा नेट पर इस तरह के लोगों की कमी नहीं जो दूसरों की रचनाएँ अपने नाम से या बेनाम इधर उधर पोस्ट कर देते हैं पोस्ट करें बेशक पर लेखक का नाम तो लिख दें |क्या  आप कोई लिंक दे सकती है ?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 29, 2015 at 10:45am

"जिसके पैर मखमल पे खड़ें हों उसे भीख कौन देगा भला ।" धन दौलत के अहम पर चोट करती सुंदर लघु कथा 

Comment by pratibha pande on August 28, 2015 at 11:17pm
बहुत बढ़िया कथा है शशि जी ,अपने शीर्षक को सार्थक करती हुई ,बधाई आपको
Comment by kanta roy on August 28, 2015 at 10:46pm

जिसके पैर मखमल पे खड़ें हों उसे भीख कौन देगा भला........ वाह....बहुत सार्थक लधुकथा हुई है यह .....बधाई स्वीकार करे आदरणीय़ शशि बंसल जी .

Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:09pm
आद0 रवि प्रभाकर जी आपकी प्रतिक्रिया किसी पुरूस्कार से कम नहीं है मेरे लिए । तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आपकी , जो आपने अपना अमूल्य समय व प्रतिक्रिया दी ।
Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:07pm
आद0 मिथिलेश जी हृदय तल से शुक्रिया आपका ।
Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:06pm
आद0 अर्चना जी आभारी हूँ आपके सदा स्नेहिल सहयोग और मार्गदर्शन के लिए ।
Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:05pm
आद0 राजेश कुमारी जी तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
आपकी राखी विषय पर आधारित रचना ने बहुत धूम मचाई हुई है । तरह तरह से सन्देश के रूप में प्रचारित और प्रसारित हो रही है । परंतु ये दुखद है कि साथ में नाम नहीं लिखा जा रहा है । सादर ।
Comment by shashi bansal goyal on August 28, 2015 at 8:00pm
आद0 maharshi tripathi जी हार्दिक आभार एवं धन्यवाद ।

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