For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस और नहीं .. ( लघुकथा )

कुछ काम से कमरे में आई तो देखा , उसका पति सूटकेस में कपड़े जमा रहा था , हैरान हो उसने पूछा ," कहीं बाहर जा रहे हैं ? मुझे कुछ बताया भी नहीं ? यूँ अचानक .. आखिर बात क्या है ? "
" ....................... "
"मैं कुछ पूछ रही हूँ , जवाब क्यों नहीं देते । "
"तुम्हें नहीं लगता संगीता तुमने कुछ पूछने में बहुत देर कर दी । "
"देखो, बच्चों के खाने का समय हो रहा है । फिर मिन्नी की अधूरी पड़ी नई ड्रेस भी सिलना है और बेटू कह रहा था , उसके सिर में दर्द है तो मालिश भी करनी है I सो अभी मेरे पास बहस करने का समय और इच्छा दोनों ही नहीं है, बेहतर होगा कि आप बिना पहेलियाँ बुझाए जाने का कारण और जगह दोनों बता दें । "
"पहेली तो मैं बन गया हूँ सग्गू । वो भी खाली वक्त में कहने वाली । और वो खाली वक्त तुम्हारे पास मेरे लिए कभी होता नहीं । मुझसे बात करने की भी समय सीमा निर्धारित कर रखी है तुमने ।बच्चों के प्रति अतिरिक्त प्रेम समझ सकता हूँ, पर खुद को अतिरिक्त बनता और नहीं देख सकता .... बस ।"

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:47pm

एक अकेला थक जाएगा मिलकर हाथ बढ़ाना

साथी हाथ बढ़ाना ,  साथी  रे---

Comment by kanta roy on August 21, 2015 at 7:11am
जबाबदारी से पलायन ..... आपसी सहयोग और समझदारी का ताना- बाना ऐसी ही परिस्थितियों में गढने की जरूरत होती है । अनुकूल परिस्थिति में जी लिया तो क्या रह लिया ! कभी प्रतिकूल को अनुकूल कर सको तो कोई बात बनें । बेहतरीन रचना हुई है ये भी आदरणीया शशि जी । बधाई स्वीकार करें आदरणीया शशि बंसल जी ।
Comment by vijay nikore on August 20, 2015 at 4:12pm

अति सुन्दर लघुकथा। कितने ही परिवारों में पत्नियाँ यही पुरुष-प्रकृति झेल रही हैं। 

बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 20, 2015 at 11:45am

आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी, मेरे कहे के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार.

Comment by Archana Tripathi on August 19, 2015 at 7:58pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ,"बस और नहीं " इस लघुकथा पर दी गयी आपकी टिप्पणी में उक्त समस्या का बेहतरीन हल आपके द्वारा सुझाया गया हैं ।जिस बेबाकी से आपने प्रस्तुत किया हैं वह प्रशंसा योग्य हैं ।
Comment by Archana Tripathi on August 19, 2015 at 7:53pm
दो पाटो के बीच पीसती पत्नी का बढ़िया चित्रण किया हैं आ शशि बंसल जी ,हार्दिक बधाई आपको ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 19, 2015 at 11:12am

आदरणीया शशि जी, आज की जीवन शैली और दिनचर्या के बदलते स्वरुप से उपजी बेचैनी को आपने बड़े सधे हुए ढंग से शाब्दिक किया है. अपनी पत्नी से अटेंशन की लॉलीपॉप मांगने वाले रोथलू को कम से कम घर के कार्यों में इतना सहयोग तो करना चाहिए कि पत्नी को उसके लिए समय मिले. पूरा दायित्व पत्नी पर डालकर नौकरी करने के नाम पर चैन की बंशी बजायेंगे तो और क्या होगा. बहुत ही सशक्त लघुकथा हुई है. सचेत करती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

Comment by pratibha pande on August 19, 2015 at 11:02am

मै  इस बात को इस तरह देखती हूँ , जब स्त्री अपने आप को घर और बच्चों में पूरी तरह लगा देती है, स्वयं के लिए भी समय नहीं रखती, तो पुरुष शिकायत करता है एक रोंदू  अटेंशन सीकर बच्चे की तरहI  हांलाकि ,ये सब स्त्री घर के लिए ही कर रही है जिसका पुरुष भी एक हिस्सा हैI वहीँ अगर पुरुष हमेशा अपने काम में रहता है और घर और पत्नी को समय नहीं देता ,तो भोली नारी और भी बलिहारी जाती है कि बेचारे सब कुछ हमारे लिए ही तो कर रहे हैंI बधाई इस रिश्तों के आधुनिक ताने बाने में बुनी सार्थक रचना के लिए ,आ० शशि जी   

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2015 at 10:44am

दरकते रिश्तों के कारकों की और इशारा करती इस कथा के लिए बधाई .

Comment by shashi bansal goyal on August 18, 2015 at 9:59pm
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आद0 ओमप्रकाश जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
10 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service