For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन तो है एक नदी

कभी निकटता रिश्तों में ,

ज्यों सागर की गहराई !

कभी दूरियाँ अपनों में,

ज्यों अम्बर की ऊँचाई  !

 

कभी सहजता चुप्पी में,

कभी जटिलता बोली में !

कभी बर्फ मैं ज्वाला किंतु,

आंच नहीं अब होली मैं !

 

कहीं मोहब्बत की म्यानों में,

रखी बैर की शमशीरें !

कहीं इबारत उलटी यारों ,

जहाँ लिखी हैं तक़दीरें !

 

कहीं सत्य एक झंझट,

कही झूठ है सुलझा !

कहीं किसी ने जाल बिछाया

खुद ही आकर उलझा !

 

कहीं प्रेम का इन्द्रधनुष,

कहीं घृणा की बौछारें !

जीवन तो है एक नदी ,

पर अलग अलग इसकी धारें!

 

जीवन तो है एक नदी ,

पर अलग अलग इसकी धारें!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on January 2, 2015 at 7:58pm

आदरणीय "जितेन्द्र पस्टारिया सर" उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु  आपका हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 2, 2015 at 7:46pm

कहीं सत्य एक झंझट,

कही झूठ है सुलझा !

कहीं किसी ने जाल बिछाया

खुद ही आकर उलझा !..........बहुत सुंदर. सत्य को बहुत हद तक परिभाषित करती पंक्ति. बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी

Comment by Hari Prakash Dubey on January 2, 2015 at 6:52pm

 मन प्रसंन्न हो गया , उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार  सोमेश भाई !

Comment by somesh kumar on January 1, 2015 at 11:56pm

जीवन एक नदी है ,है इसको अविरल बहना 

सागर अंतिम लक्ष्य वहाँ तक ऊँच-नीच सहना 

तेरी नई-नई कविताओं पर भाई इतना ही कहना 

बहना-बहना सदा नए भाव में ऐसे ही बहना |

Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2015 at 9:53pm

रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद  आदरणीय गिरिराज सर ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2015 at 9:27pm

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , बढिया गीत रचना हुई  है  , आपको दिली बधाइयाँ । 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2015 at 8:35pm

रचना की सराहना एवम् आपकी उत्साहवर्धक पर्तिक्रिया पर  बहुत बहुत धन्यवाद,  आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी,  सादर।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2015 at 8:31pm

आदरणीय डॉo गोपाल नारायण सर ,रचना पर आपकी उपस्तिथी ही उत्साहवर्धक है ,आभार सादर।

Comment by khursheed khairadi on January 1, 2015 at 2:17pm

कहीं सत्य एक झंझट,

कही झूठ है सुलझा !

कहीं किसी ने जाल बिछाया

खुद ही आकर उलझा !

आदरणीय हरि प्रकाश सर काफ़ी चिंतन तथा दर्शन से परिपूर्ण  रचना है |सभी बंध सुन्दर है |नववर्ष की ढेरों शुभकामनाओं सहित -सादर अभिनन्दन |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2015 at 1:08pm

sundar bhavpoorn kavita

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
51 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
54 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
59 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' joined Admin's group
Thumbnail

धार्मिक साहित्य

इस ग्रुप मे धार्मिक साहित्य और धर्म से सम्बंधित बाते लिखी जा सकती है,See More
12 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service