For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(1)

मोहक वन
सरि की कलकल
बहका मन

(2)

कोयल प्यारी
नित कूँ कूँ करती
जान हमारी

(3)

कार्तिक मास
झूम रही धरती
बुझेगी प्यास

(4)

यात्रा में रेल
दौड़ता सबकुछ
लगता खेल

(5)

मनवा भावे
सुन्दर है नईया
वायु हिलोर

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 730

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on November 15, 2014 at 11:13am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर अभिवादन, हाइकु की सराहना व उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 13, 2014 at 11:09pm

इस सुगढ़ प्रयास केलिए बधाई.. .

Comment by Pawan Kumar on November 6, 2014 at 2:26pm

आदरणीय डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन, आपने रचना पे समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आपके बताए अनुसार अन्तिम हाइकु सही कर ले रहा हूँ.
मार्गदर्शन हेतु हार्दिक आभार!

Comment by Pawan Kumar on November 6, 2014 at 2:24pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी सादर अभिवादन, उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार!

Comment by Pawan Kumar on November 6, 2014 at 2:24pm

आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन हतु हार्दिक आभार!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 3, 2014 at 11:15am

प्रिय पवन

आपने सुन्दर रचना की है  i अंतिम हायकू में-- सुन्दर है नईया /पार लगावे में नाव का सम्बन्ध पार लगाने से है जबकि हायकू में सभी पंक्तिया  स्वतंत्र  होती हैं  I  यदि ऐसा करें -मनवा भावे
                                                        सुन्दर है नईया
                                                        वायु हिलोर ------------------------- सस्नेह i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2014 at 10:07am

सुंदर हाइकु रचे है | बधाई श्री पवन कुमार जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2014 at 8:25pm

बहुत खूब ! भाई पवन जी , बधाई इन हाइकु के लिये ।

Comment by Pawan Kumar on November 1, 2014 at 10:55am

आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार!

Comment by Pawan Kumar on November 1, 2014 at 10:55am

आदरणीय श्याम नरायन वर्मा जी सादर अभिवादन, आपने रचना पर समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service