For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धरती माँ.....

प्राण प्रकृति सब कुछ झुलसाना
सूर्य हुआ है मनमाना।
मर्जी अपनी आना जाना
मेघ हुआ है मस्ताना।

तप्त पीत प्रकृति कर डाली
घैर्य धरा का जाँच रहा।
हँसता मुस्काता जन जीवन
निष्ठुर दिनकर दाघ रहा।
विनय कर रही धरती माता
मेहा जल्दी आ जाना।

कुपित हो गए काले मेघा
जमकर बरखा बरसाई।
रश्मि सँग रवि बंदी बनाया
ऊषा बिन लाली आई।
धरती माँ फिर विनय कर रही
सूर्य देवता आ जाना।
सीमा हरि शर्मा 18.10.2014
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 462

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seemahari sharma on October 22, 2014 at 3:41pm
आदरणीय Vijay Nikore जी बहुत बहुत आभार आपका रचना को पसंद किया।
Comment by vijay nikore on October 21, 2014 at 2:54am

बहुत ही सुंदर भाव पिरोय हैं। पढ़कर कर आनंद आया। बधाई।

Comment by seemahari sharma on October 20, 2014 at 8:24pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी प्रकृति तो हम सभी पर मेहरबान होती है हम ही कृपण हो जाते हैं बहुत बहुत आभार ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 20, 2014 at 6:01pm

आदरणीय

प्रकृति आप पर मेहरबान है और आप प्रकृति पर i

Comment by seemahari sharma on October 20, 2014 at 12:03pm
शुक्रिया Mahima Shree जी स्नेह बनाएं रखें।
Comment by MAHIMA SHREE on October 19, 2014 at 9:40pm

सुंदर भाव बधाई 

Comment by seemahari sharma on October 19, 2014 at 10:48am
शुक्रिया भाई जितेन्द्र 'गीत'जी धरती माँ हम बच्चों के लिये कितना कुछ सहती है। इसी का चित्रण करने का प्रयास किया है।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 19, 2014 at 10:40am

बहुत ही सुंदर, सादगीपूर्ण मनुहार. हार्दिक बधाई आपको आदरणीया सीमाहरी जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service