दिल तो दीवाना हुआ
आपका इस घर मे कुछ इस तरह आना हुआ
ऐसा लगता है यह घर है आपका जाना हुआ ।
मुझको तो मालूम न था आप यूं छा जाएँगे
रेशमी ज़ुल्फों मे मुझको , यूं छुपा ले जाएँगे ।
आपकी ज़ुल्फों मे खोये सुबह का आना हुआ
ऐसा लगता है यह घर है आपका जाना हुआ ।।
आप सावन की घटा हैं, या हैं फागुन की बहार ?
अब गले लग जाइए , मत देखिये यूं बार बार ।
नयन है मदहोश अब तो प्यार पैमाना हुआ
ऐसा लगता है यह घर है आपका जाना हुआ ।।
मुखड़ा पूनम चाँद जैसा , उफ़ ये मतवाली सी चाल
कैसे मैं खुद को सम्हालूँ दिल तो दीवाना हुआ ।
ऐ आहटों छेड़ो न तुम , ऐ वक्त थम भी जाओ तुम
क्यूँ मची है खलबली जब आपको पाना हुआ ।।
--------- मौलिक और अप्रकाशित ---------
Comment
रूमानियत से भरपूर अगर ग़ज़ल में कही जाय तो बेहद सुंदर होगा....भाई साहब प्रयास करने में क्या हर्ज़ है.ओबीओ मंच पर गज़लों के गुरू भरे हुए है.मार्गदर्शन मिल सकते है....सादर.
आदरणीय ब्रह्मचारी जी
आप ग़ज़ल विधा पर थोड़ा सा प्रयास करें और तरही मुशायरों को सुरुचिपूर्वक देखते चलें तो आप सुन्दर रवायती ग़ज़ल कहना सीख सकते हैं..
इस शृंगारिक प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई
लय के साथ सुंदर शब्द , अच्छी रचना , हार्दिक बधाई
बहुत खुबसूरत अंदाज, बधाई आपको आदरणीय
क्या दिलकश अंदाज़ है मान्यवर
मुखड़ा पूनम चाँद जैसा , उफ़ ये मतवाली सी चाल
कैसे मैं खुद को सम्हालूँ दिल तो दीवाना हुआ ।........बेहतरीन ..बहुत खूब
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