For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वार्थ और प्यार

"स्वार्थ और प्यार "


मानव बिकाऊ है जमी पर , मानवता की आड़ में।
ईमान बिकता है यहाँ पर , धर्म जाए भाड़ में ।।
भ्रष्टाचार का खू लगा है ,हर मानव की दाड़ में।
ऐसा बिगाड़ा इंसा जैसे ,बच्चा बिगड़ता लाड़ में।।
स्वार्थ की खातिर बेचा देश , दुनियाँ के बाजार में।
वतन किया नीलाम देखो ,मानव के सरदार ने।।
प्यार कभी न बजता यारों ,खुदगर्जी के साज में।
और कभी न स्वार्थ टिकता ,दिलबर के दरबार में।।
इन दोनों का साथ तो जैसे ,जल पावक के साथ में।
या निकला हो सूरज कोई , अमावस की रात में।।

.

मौलिक व अप्रकाशित
चौथमल जैन

Views: 763

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on January 17, 2014 at 7:38am

बहुत अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक आभार!

टाइपिंग की समस्या धीरे-धीरे अभ्यास के साथ दूर हो जाएगी!

आदरणीय, हिंदी रचना लिखते समय 'खून', 'इंसान'  ही लिखना उचित होता है. 

Comment by chouthmal jain on January 17, 2014 at 1:20am

माननीय श्यामनारायण जी वर्मा , बहिन मीना पाठक , माननीय गणेश जी बेगी , माननीय अखिलेश कृष्ण जी श्रीवास्तव , बहिन कुन्ती मुकर्जी , माननीय राम शिरोमणि पाठक जी , माननीय गिरिराज जी भंडारी ,बहिन अनुपमा वाजपेई ,माननीय नीरज कुमार जी नीर ,माननीय सौरभ जी पाण्डे ,माननीय रमेश कुमार जी चौहान , माननीय जितन्द्र जी गीत आप सभी को बहुत -बहुत धन्यवाद | मैं आपका आभारी हूँ |  साथ ही क्षमा चाहता हूँ , टाइपिंग का ज्ञान कम होने के कारण लिखने में मुझे बहुत समय लगता है ,और तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दे पाता हूँ | 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 16, 2014 at 11:03pm

भ्रष्टाचार का खू लगा है ,हर मानव की दाड़ में।
ऐसा बिगाड़ा इंसा जैसे ,बच्चा बिगड़ता लाड़ में।।

बहुत बढ़िया रचना, आदरणीय बधाई स्वीकारें

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 16, 2014 at 10:40pm

मानव बिकाऊ है मानवता की आड़ में।
बिकता ईमान है धर्म जाए भाड़ में ।।

बहुत बहुत बधाई आदरणीय चौथमल जैन जी |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 16, 2014 at 10:12pm

आपकी कोशिशों के लिए बधाई.  प्रयासरत रहें.

शुभेच्छाएँ

Comment by Neeraj Neer on January 16, 2014 at 7:56pm

बहुत खूब भाव..

Comment by annapurna bajpai on January 16, 2014 at 7:02pm

sundarसुंदर भाव , अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकारें । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2014 at 9:05pm

मानव बिकाऊ है जमी पर , मानवता की आड़ में।
ईमान बिकता है यहाँ पर , धर्म जाए भाड़ में ।। -------- बहुत बढ़िया भाई चौथ मल जी , बधाई ॥

Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 6:32pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय  ……  हार्दिक  बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on January 15, 2014 at 5:25pm

सुंदर रचना के लिये हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
7 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service