For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उठती टीस हृदयतल से

क्यूँ ये बेरंगी लगती है

घाव अनंत देती कभी तो

उमंगों से जीवन भरती है....

कभी लगती रति कामदेव की 

तो लगती कभी मधुशाला है 

तिनका तिनका करके बनती 

सुखद घरोंदा कभी लगती है.... 


लगती कभी  नववधू जैसी 

आलिंगन प्रेम का करती है 

कभी नाचती गोपियों जैसी

मुरली मधुर जब सुनती है .....

फिर भी ये ज़िन्दगी है

जीने का दम भरती है

शुन्य से शुरू होती हुई

शुन्य पर ख़त्म होती है.......

"मौलिक व अप्रकाशित"

(आरती शर्मा )

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aarti Sharma on September 30, 2013 at 9:40pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया आदरणीय ब्रिजेश जी..आभार..

Comment by Aarti Sharma on September 30, 2013 at 9:38pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विजय मिश्र जी...स्नेह यूहीं बनाये रखये..आभार  

Comment by बृजेश नीरज on September 30, 2013 at 6:50pm

जीवन को परिभाषित करती सुन्दर रचना! आदरणीया आरती जी आपको हार्दिक बधाई!

Comment by विजय मिश्र on September 30, 2013 at 5:24pm
जीवन की सुगढ़ परिभाषा आपने सुंदर काव्य रूप में दिया .साधुवाद आरतीजी
Comment by Aarti Sharma on September 30, 2013 at 9:22am

होस्लाफ्ज़ाही के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी..आभार.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 30, 2013 at 8:43am

फिर भी ये ज़िन्दगी है

जीने का दम भरती है

शुन्य से शुरू होती हुई

शुन्य पर ख़त्म होती है..

 जीवन की वास्तविकता को बड़े ही सुंदरता से चित्रित करती रचना पर, ढेरों बधाई आदरणीया आरती जी

Comment by Aarti Sharma on September 30, 2013 at 8:11am

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय vijay nikore भाई...

Comment by vijay nikore on September 30, 2013 at 3:18am

 

आदरणीया आरती जी,

 

हम ज़िन्दगी के भंवर में द्र्ष्टा बने कभी समझ सकेंगे इसको !

जीवन के यथार्थ को दर्शित करती इस रचना के लिए बधाई।

 

सादर,

वि्जय निकोर

Comment by Aarti Sharma on September 29, 2013 at 4:11pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया आदरणीया Meena Pathak जी..आभार..

Comment by Meena Pathak on September 29, 2013 at 3:47pm

बहोत सुन्दर रचना .. बधाई आप को आदरणीया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service