For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शायद उनको प्यार आ जाए

पहरों उन के साथ बिताये ,
दिल की बात नहीं कह पाए ।

तेरी खिड़की तनिक खुली है ,
शायद धूप निकल ही आये ।

इसी आस पर जीते हैं हम ,
शायद उनको प्यार आ जाए ।

दिल की बात कहाँ तक माने ,
दिल तो हर शै पर आ जाए ।

आज खुले रखो दरवाजे,
आज कोई शायद आ जाए ।

उन के अफ़साने में सुनना ,
शायद मेरा नाम आ जाए ।।

मुझको खंजर मारने वाले ,
तुझको मेरी उम्र लग जाए ।

आते जाते मिल जाते हो ,
इक अफसाना बन ना जाये ।

तूफां  हारे कभी , और कभी,
पुरवा मुझे      उड़ा ले जाए।

'शेखर' को सुलझाने वाले ,
तू उसमे खुद उलझ ना जाए ।

मौलिक एवं अप्रकाशित
अरविन्द भटनागर ' शेखर'

Views: 724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 2:43pm

आदरणीय अरविन्द भटनागर जी 

आपकी अभिव्यक्ति गज़ल विधा के बेहद करीब है, और भाव कथ्य प्रवाह सबमें बहुत सुन्दर है 

आप गज़ल की कक्षा के कुछ पाठ अवश्य पड़ें ताकि बह्र को समझ कर सहज गज़ल प्रस्तुतियों को शिल्पगत रूप दे सकें 

सादर शुभेच्छाएँ 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on September 8, 2013 at 6:17pm

आदरणीय गीतिका ' वेदिका ' जी
शायद आपने मेरे कमेंट की पहली लाइन नहीं पढ़ी , जो इस तरह से है 'यह ग़ज़ल है या क्या है मुझे नहीं मालूम, लेकिन जो भी है दिल से है ' । रचना को किसी विधा में क्लासिफाई किया जाये ये विद्वानों का काम है मेरे लिए तो इतना काफी है कि रचना आप विद्वतजनो को पसंद आई । शुभकामनाओं सहित
अरविन्द भटनागर 'शेखर'

Comment by वेदिका on September 8, 2013 at 2:54pm

किसी रचना के तकनीकी पहलू तकनीशियन तब ही परख पाते हैं जब रचनकार द्वारा रचना के मापदंड प्रदत्त हों|

एक बात आप स्वयं मे विचार करके देखिये आदरणीय शेखर जी! ... जब आप 'बहर' उपलब्ध कराएंगे, तब न रचना के तकनीकी पहलू देखे जाएगे| अभी किस विधा के तहत आपकी रचना को क्लाससिफाइ किया जाए??

आशा है कि आप तक संदेश पहुंचे!!

सुंदर कथ्य के लिए बधाई !!

सादर !!

Comment by ARVIND BHATNAGAR on September 8, 2013 at 2:18pm

आदरणीय ब्रजेश नीरज जी
यह ग़ज़ल है या क्या है मुझे नहीं मालूम लेकिन जो भी है दिल से है । आपका शुक्रिया ।
हम तो स्वान्तः सुखाय लिखते हैं , तकनीकी पहलु देखना तो तकनीशियनों का काम है।
शुभकामनाओं सहित । अरविन्द भटनागर ' शेखर '

Comment by बृजेश नीरज on September 8, 2013 at 10:11am

बहुत अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!
भाई जी, क्या यह गज़ल है? इसकी बहर क्या है?
कृपया मार्गदर्शन प्रदान करें।
सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 7, 2013 at 10:15pm

मुझको खंजर मारने वाले ,
तुझको मेरी उम्र लग जाए.....बेहद शानदार, यह बहुत पसंद आया

बहुत खूब, उम्दा.. बहुत बहुत बधाई आदरणीय अरविन्द जी

Comment by mrs manjari pandey on September 7, 2013 at 10:10pm

    अरविन्द जी दिल के अन्तस् से निकली है भीगी भीगी गज़ल ! बहुत सुन्दर ! अप्ना ी मन सरसाया  !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2013 at 8:07pm

अरविन्द भाई ,बहुत अच्छी रचना हुई है भाई , वाह !!! बहुत बहुत बधाई !!

Comment by रविकर on September 7, 2013 at 7:46pm

उम्दा-
आभार आदरणीय-

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2013 at 4:09pm

सुंदर रचना बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
yesterday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service