For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीछे मुड़ के नहीं देखना

जाने क्या क्या लोग कहेंगे , किस किस को समझाओगे ,
जिसको वफ़ा समझते हो, उस गलती पर पछताओगे ।

हँसते चेहरे ,सुंदर चेहरे , कितने भोले - भाले चेहरे ,
इस तिलिस्म में पड़े अगर तो , बाहर न आ पाओगे ।

आसमान  में  उड़ो  परिंदे , पंखों पर विश्वास करो ,
इस से ज्यादा खिली धूप और खुली हवा कब पाओगे ।

भींगी पलकें , उतरे चेहरे , वो सपनो का गाँव , गली ,
पीछे  मुड़  के नहीं  देखना, पत्थर  के  हो  जाओगे ।

चलो उठो दो चार कदम ही , उस सागर की ओर बढ़ो ,
शबनम के कतरों को पी कर , कब   तक प्यास बुझाओगे।

फूलों की  शोखी है तुम में , ये  तो हमने  मान लिया ,
फूलों के काँटों की फितरत ,अब किस दिन दिखलाओगे ।

चलो तुम्हारा नाम न लेंगे , गज़लों में अशआरों में ,
लेकिन जब हम तनहा होंगे , तब तुम याद तो आओगे ।

बादल, बरखा , जाड़ा, गरमी , आँसू, यादें, दिन और रात ,
सब आते रहते हैं लेकिन , तुम  जाने  कब आओगे ।

'शेखर' जब जब याद करेगा, तुम भी रह ना पाओगे ,
दिल में धड़कन और आँखों में आंसू बन कर आओगे| 

मौलिक एवं अप्रकाशित

अरविन्द भटनागर ' शेखर'

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 11, 2013 at 9:36pm

आदरणीय शेखर जी हार्दिक  बधाई बेहद खूबसूरत ग़ज़ल … मंत्रमुग्ध कर दिया 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on September 11, 2013 at 9:11pm

मुझे ख़ुशी है की आप सब ने इसे पसंद किया । बहुत बहुत धन्यवाद् ।
अरविन्द भटनागर 'शेखर'

Comment by ram shiromani pathak on September 11, 2013 at 8:36pm

आदरणीय अरविन्द जी ,बहुत ही सुन्दर गजल बधाई आपको//


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 4:44pm

आदरणीय अरविन्द भटनागर जी 

गज़ल की हर पंक्ति नें हर शेर नें बाँध लिया..बहुत बहुत सुन्दर 

जिस नजाकत से, सहजता से, मासूमियत से इसे लिखा गया है.. उसके लिए बहुत बहुत बधाई 

आसमान  में  उड़ो  परिंदे , पंखों पर विश्वास करो ,
इस से ज्यादा खिली धूप और खुली हवा कब पाओगे ।...वाह! वाह ! 

हर शब्द सीधे हृदय को छू रहा है 

शुभकामनाएँ 

Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 10:15pm
खूबसूरत गजल बधाई आपको आ0 शेखर जी ।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2013 at 8:24pm

बहुत ही सुन्दर रचना!

Comment by Parveen Malik on September 10, 2013 at 7:13pm
आशावादी सोच लिए खूबसूरत गजल आदरणीय.... बधाई !
Comment by rajveer singh chouhan on September 10, 2013 at 3:32pm


चलो तुम्हारा नाम न लेंगे , गज़लों में अशआरों में ,
लेकिन जब हम तनहा होंगे , तब तुम याद तो आओगे | अतिसुन्दर

Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 1:19pm

आसमान  में  उड़ो  परिंदे , पंखों पर विश्वास करो ,
इस से ज्यादा खिली धूप और खुली हवा कब पाओगे । ........बहुत खूब 

चलो उठो दो चार कदम ही , उस सागर की ओर बढ़ो , 
शबनम के कतरों को पी कर , कब   तक प्यास बुझाओगे।.......आशावादी सोच 

बधाई स्वीकारें अरविन्द भटनागर जी 

Comment by रविकर on September 10, 2013 at 11:33am

बढ़िया प्रस्तुति-
आँखों को यदि आँख कर ले तो प्रवाह बाधित नहीं होगा /
शायद

आभार आदरणीय-

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service