For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - सलीम रज़ा रीवा

ग़ज़ल 

.

क्यूँ  कहते हो कोई कमतर होता है !
दुनिया  में  इन्सान बराबर होता है !
 
पाकीज़ा  जज़्बात  है  जिसके सीने में !
उसका  दिल  भरपूर मुनौअर होता है !
 
ज़ाहिद का क्या काम भला मैख़ाने  में !
मैख़ाना तो  रिंदों  का घर  होता है !
 
जो  तारीकी  में  भी  रस्ता दिखलाए !
वो  ही हमदम  वो ही रहबर  होता है! 
 
टूटा -फूटा  गिरा-पड़ा कुछ  तंग सही !
अपना घर  तो अपना ही घर होता है! 
 
ताल  में  पंछी पनघट गागर चौपालें !
कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है! 
 
कैद  करो  न  इनको पिंजरों में कोई !
अम्न  का पंछी "रज़ा''  कबूतर होता है! 

 

SALIM RAZA REWA

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on August 14, 2013 at 9:49pm

PARAM ADRNIY Saurabh Pandey ji aap der se hi sahi hamen duaaon se navaja to khushi hui

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2013 at 3:21pm

मैं आपकी ग़ज़ल पर विलम्ब से आ पा रहा हूँ, आदरणीय रज़ा साहब. उम्मीद है, परेशानी को समझेंगे 

आपकी ग़ज़ल अच्छी हुई है. मतले ने ही बाँध लिया. दो तरह के भाव आ रहे थे. आखिरश आपका कहा अपनी बात मनवा गया .. :-))

इन अशार क् लिए विशेष बाई व दाद कुबूल करें --

टूटा -फूटा  गिरा-पड़ा कुछ  तंग सही !
अपना घर  तो अपना ही घर होता है! 
 
ताल  में  पंछी पनघट गागर चौपालें !

कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है! 

वाह वाह .. .

Comment by vandana on August 14, 2013 at 7:45am
जो  तारीकी  में  भी  रस्ता दिखलाए !
वो  ही हमदम  वो ही रहबर  होता है! 
 
टूटा -फूटा  गिरा-पड़ा कुछ  तंग सही !
अपना घर  तो अपना ही घर होता है! 
 
ताल  में  पंछी पनघट गागर चौपालें !

कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है! 

बहुत शानदार गज़ल 

Comment by aman kumar on August 13, 2013 at 2:44pm

एक एक शेर जानदार है , जिन्दा है सलीम भाई बहुत अच्छा .....

Comment by SALIM RAZA REWA on August 12, 2013 at 11:00pm

Rajesh Kumar Jha ji bahut bahut sukriya aap ko gazal pasand aai

 

Comment by राजेश 'मृदु' on August 12, 2013 at 4:09pm

वाह-वाह आदरणीय, आनंद आ गया इस गज़ल को पढ़कर

Comment by SALIM RAZA REWA on August 12, 2013 at 9:06am

NEERAJ JI GAZAL ACHHI LAGI SUKRIA.MERA LIKHNA SARTHAK HO GAYA THANKS,,ARUN JI AAP KO JO DO SHER AAPKO PASAND AAE HAME BHI YE BEHAD AZEEJ HNAN, BAHAN ANUPMA JI KO BHI YAHI SHER PASAND AAA SHUKRIYA, HAMARI KOSHISEN SARTHAK HO GAI,,

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 11, 2013 at 5:23pm

आदरणीय सलीम रज़ा साहब, सुंदर गजल पर , दाद कुबूल कीजिये

Comment by annapurna bajpai on August 11, 2013 at 1:44pm
टूटा -फूटा  गिरा-पड़ा कुछ  तंग सही !

अपना घर  तो अपना ही घर होता है!.....................

 

बहुत ही बढ़िया अशआर ,मन पर गहरी छाप छोड़ता है बहुत बधाई आपको आदरणीय रज़ा भाई जी ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 11, 2013 at 12:27pm

वाह आदरणीय बेहद सुन्दर ग़ज़ल हुई है सभी अशआर शानदार बन पड़े हैं बधाई स्वीकारें. आपसे इल्तजा है ग़ज़ल की बहर भी लिख देते तो हमे भी कुछ ज्ञान हो जाता.

टूटा -फूटा  गिरा-पड़ा कुछ  तंग सही !
अपना घर  तो अपना ही घर होता है! 
 
ताल  में  पंछी पनघट गागर चौपालें !
कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है!  इन अशआरों हेतु विशेष तौर से बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service