For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - नजरों को नजारे मिल गये // वेदिका

वज्न / २१२२ २१२२ २१२ 

चाह थी जिनकी, हमारे मिल गये 

गुम कहीं थे ख्वाब, सारे मिल गये.

 

एक धागा बेल के धड़ से मिला 

बेसहारों को सहारे मिल गये 

.

हम अकेले, भीड़ थी, तन्हाई थी 

और तुम बाहें पसारे मिल गये

.

डूबती नैया के तुम पतवार हो 

साथ तेरे हर किनारे मिल गये 

.

देख तुमको, जी को जो ठंडक हुयी 

यूँ कि नजरों को नजारे मिल गये 

.

सच अगरचे, देख के अनदेख हो 

झूठ जीतेगा, इशारे मिल गये    

                  

                             गीतिका ‘वेदिका’      

 

मौलिक / अप्रकाशित 

 

 

 

Views: 1015

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on August 16, 2013 at 10:07am

आ0 गीतिका जी ....अति उतम . बहुत खूबसुरत गजल जो बार बार गुनगुनाने को  मन चाहे.........बधाई  

Comment by वेदिका on August 14, 2013 at 9:09pm

आदरणीय अभिनव अरुण जी! आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया से मुझे सम्बल महसूस हुआ| आप जैसा सा गजलकार गज़ल के पहलुओं को इंगित करे तो उस गज़ल की अहमियत अपने आप ही हो जाती है| 

सादर !!

Comment by वेदिका on August 14, 2013 at 9:08pm

आदरणीय गिरिराज जी!

गज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया मन को तसल्ली प्रदान करती है

सादर !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 14, 2013 at 8:01pm

बहुत सुन्दर गज़ल कही वेदिका जी , बहुत सरल शब्दों मे बहुत अच्छी बात !! बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on August 14, 2013 at 7:25pm

बेहतरीन ! आफरीन !! मोहतरमा गीतिका जी , अभिनन्दन !

समय के सागर में गोते लगा सीपियों से चुने , चमकदार ताजगी लिए हुए शेर ...

 

चाह थी जिनकी, हमारे मिल गये

गुम कहीं थे ख्वाब, सारे मिल गये...बेहतरीन आगाज़

 

एक धागा बेल के धड़ से मिला

बेसहारों को सहारे मिल गये .... क्या सकारात्मकता है स्तुत्य है ये संबल

 

हम अकेले, भीड़ थी, तन्हाई थी

और तुम बाहें पसारे मिल गये....मधुर मनोरम अतीव सुन्दर

.

सच अगरचे, देख के अनदेख हो

झूठ जीतेगा, इशारे मिल गये    ... इस शेर के लिए ख़ास मुबारकबाद .. अदब को आप पर गर्व है आपको पढना गौरवान्वित कर गया ..सौ सौ शुभेच्छाएं .. और स्वाधीनता दिवस की हार्दिक बधाई !!

 

Comment by वेदिका on August 14, 2013 at 6:46pm

आदरणीय सौरभ जी!

आपकी प्रतिक्रिया से बल मिला, वो दिन ज्यादा दूर नही गया जब मैंने कहा था "की मै गज़ल नही कह सकूंगी," और आपने कहा था "की आप गज़ल जरुर कहेंगी"| 

ये सच था आदरणीय सौरभ जी! :-)

आपकी शुभकामनाये शिरोधार्य!

सादर !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 10:31pm

क्या बात है .. क्या बात है.. !!

अपनी गीतिकाजी अब कहन से मुतास्सिर करने लगी हैं. हर शेर बस कमाल है का है. मन प्रसन्न है.

देर से आना वाकई अब अधिक खल रहा है. 

शुभ-शुभ

Comment by वेदिका on August 8, 2013 at 11:11pm

आपका आभार प्रिय महिमा जी! 

आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया से उत्साह दोगुना हो गया!

सस्नेह !!   

Comment by MAHIMA SHREE on August 7, 2013 at 11:13am

चाह थी जिनकी, हमारे मिल गये
गुम कहीं थे ख्वाब, सारे मिल गये.

हम अकेले, भीड़ थी, तन्हाई थी
और तुम बाहें पसारे मिल गये
आ. वेदिका जी.. बेहद खुबसूरत गजल। . बहुत -२ बधाई आपको। स्नेह

Comment by वेदिका on August 7, 2013 at 9:09am

आदरणीया सीमा जी! 

एक अरसे बाद आपको मंच पर देख के बहुत खुशी हो रही है,

आपकी  प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत मायने रखती है,

आभार !! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service