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!!! मां !!!


मां -एक मात्र ऐसी स्तम्भ है,
जिस पर सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड टिका है।
और हम अज्ञानी-अहंकारी-विकारी,
मां का अनादर करते है-
लज्जित करते है।
हम इस ब्रहमाण्ड को परे रख कर
स्वयं को सर्वज्ञ - अभिन्न,
विधाता बने फिरते है।
सुखी-स्वस्थ्य-सम्पन्न होने की चाह,
दया-मुक्ति-परमार्थ होने की आश,
धिक-धिक-धिक है हमारी सोच।
धिक्कार है! ऐसा आत्मबोध!
आह! अकेला ही रह जाएगा,
मां को छोड़...
और मां!
फिर भी मां है।
अन्त समय में भी मां का प्यार,
सात गज का आंचल है,
दो गज की गोद है,
थपकी देती तन की माटी
चिर निन्द्रा मे निर्विध्न-
शांति से देती है..... पनाह।
धन्य है मां !
तू धन्य है-
मैं तेरा अपराधी हूं.........हे! मां!!!


के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 7:04pm

आ0 वंदना जी,  आपके उत्साहवर्धन से मां के ममता और स्नेह को दृढ़ता मिली है।  आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by Vindu Babu on May 2, 2013 at 9:30am
माँ की ममता,त्याग,समर्पण,प्रेम और क्या क्या कहा जाय.. शब्दों मे पिरो पाना बड़ा मुश्किल है। आपका प्रयास प्रशंसनीय है आदरणीय केवल प्रसाद जी।
सादर
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 8:53am

आ0 रक्ताले  सर जी,   सादर प्रणाम!   मां के त्याग, प्यार और श्रध्दा को आपका स्नेह और आशीष जल अभिसिंचित कर रही है। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 8:44am

आ0 मनोज शुक्ला जी,   मां के त्याग ओर प्यार को आपका समर्थन मिला रचना सफल हुई। आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 1, 2013 at 11:24pm

धरती माँ के सम्मान में लिखी गयी सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय केवल प्रसाद जी. 

Comment by manoj shukla on May 1, 2013 at 8:30pm
बहुत सुन्दर... माता के प्रति स्नेहपूर्ण भाव को शब्दों का रूप देने के लिये बधाई स्वीकार करें आदर्णीय
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 1, 2013 at 8:18pm

आदरणीया, कुन्ती जी,  एक मां के कर्ज को संसार  के समस्त प्राणी मिलकर भी अदा नहीं कर सकते हैं।  मैनें तो मात्र मां के एहसास को बस रोशन भर किया है।   आपने अपने आशीष वचन में वह सब कुछ कह दिया जो एक पुत्र धर्म को करना चाहिए। आपकी श्रध्दा और दिशा को नतमस्तक नमन है और आपका तहेदिल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 1, 2013 at 8:04pm

आ0 कुशवाहा जी,  आपके स्नेह  और आशीष से मां के प्रति श्रध्दा को और अधिक बल मिला है।  आपका तहेदिल से आभार।  सादर,

Comment by coontee mukerji on May 1, 2013 at 6:44pm

धन्य है आपकी कलम भी  , केवल जी , जो माँ  को श्रद्धा सुमन अर्पण  किये है .....एक माँ को  एक ही  सपूत काफ़ी है ./ सादार / कुंती .

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 1, 2013 at 5:19pm

priy keval prasad ji 

sundar bhaav ,prastuti hetu sasneh badhai. 

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