For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


मां!
आंचल-आशीष, प्यार-दुलार
दया-दान, क्षमा-उपकार है।
सहज-प्रकृति-अभिव्यक्ति
सृष्टि-दृष्टि-संस्कार है।
माया-मोह, ममता-मनमोहनी
सानिध्य-सहिष्षुण-सद्व्यवहार है।
मां!
श्रृध्दा-गरिमा, प्रेरक-उध्दारक
धूप-छांव, सर्दी-गर्मी-बरसात है।
लक्ष्मी-सरस्वती, सीता-सावित्री
दुर्गा-शारदा, काली-कपाली-चामुण्डा है।
ज्योति-ज्ञान, विचारक-संवाहक
आचार-विचार, शब्द-उच्चारण है।
मां!
पूजा-पाठ, आस्था-सद्गुरू
पतित-पावनी गंगा-जमुना-गोदावरी है।
हां! यही भव-भय-ताप-शाप से
मुक्तिदायनी-संकटमोचक-जगतारणी है।
धर्म-कर्म, सत्य-अक्षुण्ण,
जन्म-मृत्यु , मोक्ष-स्वर्ग-गोलोक है।
मां-दुर्गा
मां-कौशल्या
मां-यशोदा है।......जय मां! जय जय मां!!!


के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 8:53pm

आ0  रक्ताले सर जी,  आपका आशीष पाकर मन खिल गया। किन्तु सरजी, मैनें कोई प्रयोग नही किया है।  आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 30, 2013 at 8:33pm

सुन्दर रचना आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर बधाई स्वीकारें. एक नवीन प्रयोग ही कहूंगा. बहुत बढ़िया. 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 8:13pm

आ0  मनोज जी,   आपके प्यार व उत्साह ने मेरा मान बढ़ाया।   आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by manoj shukla on April 30, 2013 at 8:04pm
आदर्णीय ...बहुत सुन्दर रचना ...बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 6:27pm

आ0 लड़ीवाला जी,  मां का असीम प्यार, पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है।  तो हमें भी  मां को सदैव दिलों में रखना चाहिए।   आपके समर्थन और आशीष  से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 6:23pm

आ0 श्याम नारायण जी, आपके समर्थन से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर, 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 6:21pm

आ0 राजेश कुमारी जी,  मां का पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है।  तो हमें भी  मां का सदैव उतना  ही ध्यान रखना चाहिए।   आपके समर्थन से मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 6:15pm

आ0 कुन्ती जी,  मां का पावन रूप, श्रध्दा और आशीष हम सभी को खूब भाता है, फलता है।  तो हम क्यों न मां का सदैव  ध्यान रखें।   इसी निवेदन के साथ आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 30, 2013 at 4:39pm

माँ के चरणों में स्वर्ग धरा 

माँ के आँचल में प्यार भरा - माँ की गुण गाथा में जितना लिखा जाए कम है | प्रस्तुति पर बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on April 30, 2013 at 12:13pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service