For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पथ के कांटे

तेरी एक छुअन

नया साहस।

   -----

 

ओस की बूंदें

हवा की शीतलता

तेरी छुअन।

   -----

 

तुम्हारा आना

बेचैन करता है

तुम्हारा जाना।

    -----

ढलती शाम

पंछी का कलरव

मेरी तन्हाई।

     -----

 

गांधी की देन

दो तारीख की छुट्टी

मौज ही मौज।

      -----

 

कल टंगे थे

आज खाली है फ्रेम

कहां हो गांधी।

       -----

            - बृजेश नीरज

 

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 9:42pm

आपका आभार वंदना जी!
आपने आजकल रचनाकर्म क्यों बंद कर रखा है?

Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 9:39pm
क्षमा चाहती हूं श्रीमान आपकी ये अप्रतिम रचना(हाइकू) इतने विलम्ब से देख पा रही हूं।
बहुत सुन्दर मनमोहक कृति है।
सादर बधाई।
Comment by बृजेश नीरज on March 5, 2013 at 7:16pm

आपका आभार आदरणीया आशा जी!

Comment by asha pandey ojha on March 5, 2013 at 7:11pm

bahut umda ban padee hai yah haiku kavita 

Comment by बृजेश नीरज on March 5, 2013 at 6:44pm

आदरणीया वेदिका जी सादर आभार!

Comment by वेदिका on March 5, 2013 at 9:53am

तुम्हारा आना
बेचैन करता है
तुम्हारा जाना।...

बहुत सुंदर रचे है हाइकू!

शुभकामनायें 

सादर वेदिका 

Comment by बृजेश नीरज on March 4, 2013 at 5:58pm

आदरणीय लक्ष्मण जी को बहुत बहुत धन्यवाद!

Comment by बृजेश नीरज on March 4, 2013 at 5:57pm

आदरणीय प्राची जी आपका आभार! आपका सुझाव वास्तव में रूचिकर है। भविष्य में इसे नियम की तरह प्रयोग करने का प्रयास करूंगा। निश्चित रूप से सुन्दरता में वृद्धि होगी!
सादर!

Comment by बृजेश नीरज on March 4, 2013 at 5:54pm

आदरणीय पवन जी व राज जी आप दोनों का बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 4, 2013 at 5:53pm

आदरणीय रविकर जी सादर आभार! इसलिए भी कि आपने प्रशंसा में एक हाइकू रच दी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service