For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुम्हार

 

रूप दे दो

इधर उधर बिखरी हुई है

ये मिट्टी

रौंद रहे हैं लोग

रंग काला पड़ने लगा

कुछ कीड़े भी पनपने लगे

 

इसे कोई रूप दे दो

कुम्हार

कि फिर निखर आए

यह एक नए रूप में।

 ----------------------

तारे

 

चाहता हूं मैं भी

तोड़ लाना आसमान के तारे

तुम्हारे लिए

लेकिन क्या करूं

मेरा कद है बौना

हाथ छोटे।

           - बृजेश नीरज

 

Views: 534

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on March 15, 2013 at 8:12pm

आदरणीय स्वर्ण जी आपका आभार!

Comment by Dr. Swaran J. Omcawr on March 15, 2013 at 7:48pm

आप की नज्में बहुत अर्थ भरपूर हें

Thanks

Comment by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 9:37pm

वंदना जी आपका आभार!

Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 9:30pm
महोदय क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगीं!
दोनों एक से बढ कर एक हैं.
ईश्वर करे साहित्य हर आयाम आपकी लेखनी मे सिमटता रहे।
शुभकामनाएं
Comment by बृजेश नीरज on March 8, 2013 at 5:07pm

आदरणीय राजेश कुमार जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 8, 2013 at 5:07pm

आदरणीय विजय निकोर जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 8, 2013 at 5:06pm

आदरणीय रकताले जी आपका आभार!

Comment by बृजेश नीरज on March 8, 2013 at 5:05pm

जवाहर लाल जी आपका आभार!

Comment by राजेश 'मृदु' on March 8, 2013 at 1:12pm

उफ..... इतनी गहराई कि अतल.... क्षणिका नहीं ये एटम बम है, सादर

Comment by vijay nikore on March 8, 2013 at 12:28pm

बहुत सुन्दर, बृजेश जी।

बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
18 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service