For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खास  आदमी  जीने  के, मौके करे तलाश 

आम आदमी अपनी ही, ढोते फिरता लाश!!!
--
मन पांखी  उड़ता रहे,चाहे गगन विशाल।
देखे तन का घोसला ,देता खुद को डाल ।।
--
सोचे है कुछ आदमी ,होती है कुछ बात!
होना होनी के लिये ,करना अपने हाथ।।
--
अलग अलग है बानगी ,अलग अलग है रंग।
जारी  है हर मोड़ पे, इस  जीवन  की  जंग।।
--
आँखों में जब अश्क का,दरिया सा लहराय ।
दर्द-सिन्धू में जानिए , मन का मीत नहाय ।
------------------
अविनाश बागडे 

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on December 28, 2012 at 12:14pm

bagde ji jeevan ki sachhai ka sunder bayan badahi

Comment by अमि तेष on December 26, 2012 at 11:38pm

वाह 

Comment by seema agrawal on December 26, 2012 at 8:21pm

होना होनी के लिये ,करना अपने हाथ...वाह बहुत बढ़िया बात अविनाश जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 26, 2012 at 6:26pm
आँखों में जब अश्क का,दरिया सा लहराय ।
दर्द-सिन्धू में जानिए , मन का मीत नहाय 
 
सुन्दर दोहे आदरणीय अविनाश जी सादर बधाई स्वीकारें.
Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2012 at 5:49pm

अलग अलग है बानगी ,अलग अलग है रंग।
जारी है हर मोड़ पे, इस जीवन की जंग।।आदरणीय अविनाश सर नमस्कार .. बहुत बढिया !!!.इन उधृत पंक्तियों पर बधाई स्वीकार करें

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 26, 2012 at 4:10pm

अलग अलग है बानगी ,अलग अलग है रंग।

जारी  है हर मोड़ पे, इस  जीवन  की  जंग।।
आदरणीय अविनाश जी, 
सादर 
सहमत 
Comment by अरुन 'अनन्त' on December 26, 2012 at 1:51pm

आदरणीय सर बेहद सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति है खास और आम आदमी के बीच का अंतर सिखलाती सुन्दर पंक्तियाँ बधाई स्वीकारें .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 26, 2012 at 12:50pm
आँखों में जब अश्क का,दरिया सा लहराय ।
दर्द-सिन्धू में जानिए , मन का मीत नहाय ।
-बहुत सुन्द्दर बधाई श्री अविनाश बागडे जी 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 26, 2012 at 10:58am

अलग अलग है बानगी ,अलग अलग है रंग।

जारी  है हर मोड़ पे, इस  जीवन  की  जंग।।----बहुत सुन्दर सार्थक लिखा प्राची जी की तरह मैं भी कहूँगी इन्हें दोहों में बाँध कर देखो और निखर जायेंगी बहुत बधाई अविनाश जी 
--

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 26, 2012 at 10:52am

सुन्दर द्विपदियाँ आ.अविनाश जी,

शिल्प पर थोडा सा समय दे कर इन्हें दोहों की तरह साध सकते हैं.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
7 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service