For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य )

हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य  )

(1) 
सिर मुंडाया 
दुकान से निकले 
ओले बरसे 
(२)
पहली बार 
वो छतरी में आई 
बारिश थमी 
(३)
इम्तहान था 
लिखना शुरू किया 
कलम टूटी 
(४)
भागते हुए 
प्लेटफार्म पंहुचा 
ट्रेन निकली 
(५)
श्रृंगार हेतु 
ज्यों घूंघट पलटा
शीशा चटका 
(६)
मिन्नतों बाद 
बाईक पे लिफ्ट दी 
टायर फुस्स
(७)
गिरा आँचल 
लपक के उठाया 
थप्पड़ पड़ा 
(८)
जल्दी पंहुची 
पहला साक्षात्कार 
जबान सूखी 
(९)
पहली बार 
बाग़ में आम आये 
बन्दर घुसे 
(१०)
पहली बार 
चुनाव मैदान में 
जमानत टें
****** 

Views: 703

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 28, 2012 at 9:05am

हार्दिक आभार उमा शंकर मिश्र जी 

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 28, 2012 at 12:16am
भागते हुए 
प्लेटफार्म पंहुचा 
ट्रेन निकली -यह हाईकू हमारी भाग दौड भरी जिंदगी कि सच्चाई है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 23, 2012 at 1:51pm


हाँ सीमा जी सही कह रही हैं पर सब की सब सिर मुंडाते ही हुई :))) हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 23, 2012 at 11:18am

अशोक कुमार रकतेला जी हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 22, 2012 at 9:19pm
इम्तहान था 
लिखना शुरू किया 
कलम टूटी 
..........
भागते हुए 
प्लेटफार्म पंहुचा 
ट्रेन निकली 
बहुत सुन्दर हाइकु राजेश कुमारी जी. बधाई.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:55pm

 योगी सारस्वत  जी     बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:54pm

 AjAy Kumar Bohat  जी    बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:53pm

डा. सूर्या बाली  जी     बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:48pm

 सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी बहुत बहुत हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:47pm

रेखा जी बहुत बहुत हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service