For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निर्गुण भोजपुरी गीत : पिया अईले बोलावे


छोडे के नईहर तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
मनवा होखेला बेकरार हो ,
पिया से मिले के बावे ,
छोडे के नईहर..............

काँच ही बास के डोलिया बनल बा ,
उपरा से लाली रंग चुनरी लॅगल बा ,
मोलायम बिछावन गुलगुल सिरहानि,
गुलगुल सिरहानि, रामा, गुलगुल सिरहानि,
दुवारे कहार बाड़े तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
छोडे के नैहर..............

बाबू रोवे ले माई रोवेली,
भाई रोवे ले भौजी रोवेली ,
गऊवां  के सभे सखिया रोवेली,
सखिया रोवेली,रामा,सखिया रोवेली,
बिलखि रोवे लईकाई के यार हो ,
पिया अईले बोलावे,
छोडे के नैहर..................

पाप के कमाईल इहे रह जाई,
पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,
पियवा एक दिन सबके ले जाई,
सबके ले जाई, रामा,सबके ले जाई,
इहे बा सचाई, रामा, इहे बा सचाई,
जनि कर "बागी" हाय हाय हो ,
पिया अईले बोलावे
छोडे के नैहर..................

छोडे के नईहर तैयार हो,
पिया अईले बोलावे,
मनवा होखेला बेकरार हो,
पिया से मिले के बावे,
छोडे के नैहर..................

हमार पिछुलका पोस्ट => भोजपुरी लघु कथा :- चुनाव के बात अलग होला

Views: 6072

Replies to This Discussion

पाप के कमाईल इहे रह जाई,...........पाप की कमाई यहाँ (मायके में )रह जाए  

पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,..........पुण्य की खाइल ??  
पियवा एक दिन सबके ले जाई, ..................पति एक दिन सब ले जाए 

गणेश जी पूरा गीत समझ में आ गया कृपया इन तीन पंक्तियों को स्पष्ट करें तो गीत का मजा दोगुना हो जाएगा ...बहुत रोचक गीत है 

..................

आदरणीया राजेश कुमारी जी मैं आपके कहे अनुसार भवार्थ लिखने का प्रयास कर रहा हूँ |

//पाप के कमाईल इहे रह जाई//

आत्मा को पत्नी और परमात्मा को पति के रूप में माना जाता है उसी प्रकार इस लोक को नईहर/मायके/पीहर तथा स्वर्गलोक को ससुराल समझा गया है, इस पक्ति का आशय है कि पाप/ कुकर्म से एकत्र किया हुआ धन तो इसी लोक में रह जाता है,


//पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,//

साथ जाता है तो पुण्य प्रताप |


//पियवा एक दिन सबके ले जाई,//

ईश्वर सभी को एक दिन अपने पास ले जाता है अर्थात सभी जीवों को एक दिन मृत्यु को प्राप्त होना है |

गणेश जी बहुत बहुत आभार आपका अब सारी पिक्चर साफ़ हो गई बहुत दार्शनिक भावान्तिका गीत है बहुत सुंदर बधाई |

धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी |

पियवा एक दिन सबके ले जाई,
सबके ले जाई, रामा,सबके ले जाई,
इहे बा सचाई, रामा, इहे बा सचाई,.....

आदरणीय बागी जी , नमस्कार ,
सारस्वत सत्य तो यही है जीवन का...सब को एक दिन जाना है और ऊपर जाकर कर्मो का हिसाब भी देना है ...
जाके बाबुल से नजरे मिलाऊ कैसे....लागा चुनरी में दाग...
बधाई स्वीकार करे....

आभार आदरणीया महिमा श्री,

बहुत बढ़िया रचना बा.  वास्तव में जीवन के सच्चाई ईहे बा कि नईहर छोड़े के परबे करेला बाकिर मनुष्य अपना मोह माया के जाल में इतना ना लिप्त रहेला कि भुला जला कि ओकरा पिया के संगे जाये के बा......ओही में जे पिया के संगे जाये के तैयार बा आ पिया के इंतजार करत बा ऊ इहाँ के दुनियादारी से ऊपर उठ गईल बा.....ऊहे सच्चा अर्थ में संत कहला...... इतना बढ़िया रचना खातिर हमर हार्दिक बढ़ायी स्वीकार करीं.    ई पढ़ के कबीर दास जी के एगो निर्गुण याद पर गईल ह .....

नईहरवा हमका न भावे
साईं की नगरी परम अति सुंदर
जहाँ कोई जाये न आवे
चाँद सूरज जहाँ पवन ना पानी
को संदेसा पहुँचावे
दरद यह सांई को बतावे
नईहरवा हमका ना भावे.....

बीर सतगुरु आपनो नहीं कोई
जो यह रह बतावे
कहत कबीर सुनो भाई साधो
सपने में प्रीतम आवे
तपन यह जिया कि बुझावे
नईहरवा हमका ना भावे

आदरणीया नीलम बहिन, राउर टिप्पणी बहुत नीक लागल, इ निर्गुण गीत बहुत दिन से अधपका अवस्था में रखल रहल हा, पन्ना उलाटत में नजर पडल त वोकरा के पका के रौरा लोगन के सेवा में प्रस्तुत कईनी ह , रउआ के नीक लागल , श्रम सार्थक भईल, आभार राउर |

 आदरणीय बागी  जी, सादर अभिवादन.

जीवन की सत्यता को बयां करता हुआ निर्गुण. सरल सधी भाषा में. बधाई. 


आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, निर्गुण सराहे खातिर आभार,

भाई गणेशजी !  जिनिगी के सचाई ठाढ़ क दिहलऽ, ए भाई.  कतनो फहरई में उड़त मन पढ़ि-सुनि के भुइयाँ भहरा जाई. एह सत्य के चकचकइला का सोझा मन के अन्हार ना रहि सके. निर्गुन अपना देस के गंग-जमुनी संस्कृति के पताका हऽ, सउँसे विश्व खातिर उपहार बा अपना देस से.

एह पंक्तियन खातिर विशेष बधाई स्वीकार कइल जाओ -

पाप के कमाईल इहे रह जाई,
पुण्य के खाइल ससुरा ले जाई,
पियवा एक दिन सबके ले जाई,
सबके ले जाई, रामा,सबके ले जाई,
इहे बा सचाई, रामा, इहे बा सचाई,
जनि कर "बागी" हाय हाय हो ,
पिया अईले बोलावे

हम विलम्ब से एह पन्ना प आ सकनीं हँ, एकर अपार अफ़सोस बा.

मेहनत सुकलान हो गईल सौरभ भईया, राउर सराहना पुरस्कार से तनिको कम ना लागे, माता जी के भी पढ़ के सूना देब , हम जानत बानी उहा के बहुत पसन् करब | आभार राउर |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"​अच्छे दोहे लगे आदरणीय धामी जी। "
35 seconds ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"बड़ी ही अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय धामी जी बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई...."
2 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय भाई शिज्जु 'शकूर' जी इस खूबसूरत ग़ज़ल से रु-ब-रु करवाने के लिए आपका बहुत-बहुत…"
5 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी तात्कालिक परिस्थितियों को लेकर एक बेहतरीन ग़ज़ल कही है।  उसके लिए बधाई…"
10 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आपकी ग़ज़लों पे क्या ही कहूँ आदरणीय नीलेश जी हम तो बस पढ़ते हैं और पढ़ते ही जाते हैं।किसी जलधारा का…"
21 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"अतिउत्तम....अतिउत्तम....जीवन सत्य की महिमा बखान करते हुए सुन्दर सरस् दोहों के लिए बधाई आदरणीय...."
30 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया... सादर।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service