For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-गलियों में सन्नाटा पसरा शमशानों में शोर

बह्र-ए-मीर

मुद्दत से वीरान पड़े इस उजड़े खंडर की
अब कौन करे परवाह जहाँ में दीदा-ए-तर की

गलियों में सन्नाटा पसरा शमशानों में शोर
आँखों को उम्मीद नहीं थी ऐसे मंज़र की

पास तुम्हारे बढ़ने लगता है जब कोलाहल
याद बड़ी तब आती है अपने सूने घर की

मिलकर मंज़िल पा लेंगे कब ऐसा बोला था
लेकिन तैयारी करते दोनों एक सफ़र की

अक्सर दरवाजे पे आ 'ब्रज' ने राह निहारी
इक दिन तो चिट्ठी आयेगी मेरे दिलबर की

अन्दर के खालीपन से डर डर के घबरा के
'ब्रज' आया पास तुम्हारे तुमने तंग-नज़र की
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 31, 2021 at 7:55pm

आपने ठीक ही कहा है आदरणीय समर जी...देखने में सबसे आसान लेकिन निभाने में मुश्किल बह्र...जरूर आपकी सलाहनुसार और पढ़ने की कोशिश करूँगा... बिना पढ़े तो वैसे भी गुजारा नहीं है।सादर

Comment by Samar kabeer on August 31, 2021 at 3:39pm

मतले और मक़्ते का सानी सुधारना इस बह्र में बहुत मुश्किल है, इस बह्र पर कुछ ग़ज़लें पढ़ें और देखें कि इसे कैसे निभाया जाता है, कुछ ग़ज़लें तो मेरे ब्लॉग पर ही मिल जाएँगी ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 30, 2021 at 11:12pm

आदरणीय समर कबीर जी ग़ज़ल पे आपकी शिरकत...हौसलाफजाई और हमेशा की तरह ज्ञानबर्धक टिप्पड़ी के लिए आपका शुक्रगुजार हूँ...

दरअसल खंडर और दीदा-ए--तर ये दोनों ही शब्द हूबहू रेख़्ता में कई बार पढ़े हैं...इसलिए इस्तेमाल किया है।इसके अलावा मतले का सानी बन ही नहीं रहा था मुझसे इसलिए "अब" शब्द जबरजस्ती रख दिया है।चौथा शे'र कमजोर तो है..कुछ सुधार की कोशिश करता हूँ। 'तंग-नज़र' में यदि नज़र को 12 मानलें तो बह्र दुरुस्त है।आगे आपकी सलाह की प्रतीक्षा में...सादर

Comment by Samar kabeer on August 30, 2021 at 6:30pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, 6 फ़ेलुन 1 फ़ा पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'मुद्दत से वीरान पड़े इस उजड़े खंडर की
अब कौन करे परवाह जहाँ में दीदा-ए-तर की'

मतले के ऊला मिसरे में 'खँडर' शब्द को अमूमन 12 पर लिया जाता है,लेकिन कहीं कहीं इसे 22 पर भी देखा गया है ।

सानी मिसरे में पहली बात ये कि 'दीदा-ए-तर' को "दीद-ए-तर" लिखा जाता है,और इस मिसरे की बह्र भी चेक करें, मिसरे में लय बाधित है ।

'लेकिन तैयारी करते दोनों एक सफ़र की'

ये मिसरा मात्रा के हिसाब से पूरा है, लेकिन शब्द विन्यास के कारण इसमें गेयता नहीं है,ग़ौर करें ।

'ब्रज' आया पास तुम्हारे तुमने तंग-नज़र की'

इस मिसरे की बह्र चेक करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 29, 2021 at 7:42am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अमीरुद्दीन जी...

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 27, 2021 at 8:00pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, बह्र-ए-मीर पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service