For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - चरागाँ इक मुहब्बत का जला दो तुम

1222 1222 1222

चरागाँ इक मुहब्बत का जला दो तुम,

अभी उन्वान रिश्ते को नया दो तुम ।

फ़ना ही हो गये जो इश्क़ कर बैठे,

ज़हर है ये,ज़हर ही तो पिला दो तुम ।

हया कायम रहे,कब तक मुहब्बत में,

ज़रा पर्दा शराफत का उठा दो तुम ।

बहुत वीरान है,सदियों से दिल मेरा,

मकीं होकर यहाँ,कुछ गुल खिला दो तुम ।

हुआ अरसा हमें तुमसे मिले अब तो,

मिलो फिर से हमें वो सिलसिला दो तुम ।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 20, 2019 at 5:20pm

Bilkul Sir

Comment by Balram Dhakar on October 20, 2019 at 12:37am

जनाब प्रशांत जी, 

ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं। 

आदरणीय समर सर की बातों पर गौर करें, ग़ज़ल और बेहतर हो सकेगी। 

सादर। 

Comment by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 19, 2019 at 4:44pm

बहुत बहुत धन्यवाद समर सर ।

प्रयास करता हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 19, 2019 at 2:28pm

जनाब प्रशांत दीक्षित 'सागर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'चरागाँ इक मुहब्बत का जला दो तुम'

'चरागाँ' किया जाता है,होता है,इसके साथ जला दो कहना उचित नहीं,मिसरा बदलने का प्रयास करें ।

'ज़हर है ये,ज़हर ही तो पिला दो तुम'

इस मिसरे में सहीह शब्द "ज़ह्र" है,इसे 12 पर लेना उचित नहीं देखियेगा ।

Comment by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 18, 2019 at 5:32pm

बहुत बहुत धन्यवाद विमल शर्मा 'विमल' जी

Comment by विमल शर्मा 'विमल' on October 18, 2019 at 12:42pm
वाह वाह... बेहद खूबसूरत अल्फाजों से सजाया...बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service