For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मखमल के गद्दों पे गिरगिट सोए हैं (नवगीत 'राज')

मखमल के गद्दों पे गिरगिट सोए हैं

कंठ चीर तरु सरकंडों के

अल्गोज़े की बीन बनी है

अंतड़ियों के बान पूरकर

तिलचट्टों ने खाट बुनी है

मजबूरी ने कोख में फ़ाके बोए हैं

 

लूट खसोट के दंगल भिड़तु

किसने लूटी किसकी जाई

बुक्का फाड़ देवियाँ रोती

सनी लहू में साँजी माई

कंधों पे संयम के मुर्दे ढोए हैं

 

छल के पैने नाखूनों से

देह खुरचते जात धरम की

मक्कारी की आरी लेकर

लाश बिछाते लाज शरम की

प्रश्न भरोसे की  आँखों से रोये हैं

 

रिश्तों की चिल्मों के भीतर

ओछेपन की आग भरी है

जिव्हा के पनघट के ऊपर

धरी डोलची जहर भरी है

काँव काँव में तेरे मेरे खोए हैं

 

गुड्डे गुडिया छुपम छुपाई

आट्टे बाट्टे लल्ला लोरी

गिट्टे कंचे इक्क्ल दुक्कल

गुल्ली डंडा डंडा डोली

कम्प्यूटर मोबाइल ने सब धोए हैं

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 946

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 26, 2018 at 5:03pm

आद० बृजेश कुमार बृज जी आपको ये नवगीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत शुक्रिया .

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 24, 2018 at 10:09pm

बहुत ही शानदार सृजन किया है आदरणीया...सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 24, 2018 at 9:34pm

आद० सतविन्द्र भैया आपको नवगीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत ब्बहुत आभारी हूँ 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 24, 2018 at 8:59pm

वाहः वाहः वाहः,अद्भुतnvgeet सर्जना हुई है। बहुत बहुत बहुत बधाई आदरणीय राजेश दीदी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 24, 2018 at 7:10pm

आद० लक्ष्मण भैय्या आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 24, 2018 at 7:10pm

आद महेंद्र कुमार जी आपको नवगीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 24, 2018 at 7:09pm

आद०  बलराम जी ,नवगीत आपको पसंद आया दिल से बहुत बहुत शुक्रिया .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2018 at 5:05pm

आ. राजेश दी, वर्तमान हालातों को उजागर करता बेहतरीन गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Mahendra Kumar on January 23, 2018 at 8:02pm

बढ़िया नवगीत है आ. राजेश मैम. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Balram Dhakar on January 23, 2018 at 6:24pm
बहुत बढ़िया नवगीत, आ. राजेश जी। बधाई स्वीकार करें।
सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
8 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service