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एक कविता जश्ने आज़ादी के नाम

सत्तर बरस आज़ादी के,
याद करो क़ुर्बानी के ।
वो तो सब परवानें थे ,
भारत माँ के दीवानें थे
हँसते हुए प्राण गंवाए,
वीर शहीद वो कहलाए ,
माँ का हर वचन निभाया ,
देकर रक्त कर्ज़ चुकाया ।
सत्तर बरस.......
आज़ादी की मशाल थे ,
भारत भूमि की ढाल थे ,
शौर्य के अंगारे थे ,
इंकलाब के नारे थे ,
सब साहस की उड़ान थे
वीरता की पहचान थे ।
सत्तर बरस......
हर वीर एक ज्वाला था ,
क्रांति का मतवाला था
जब विपदा आन पड़ी थी ,
जवानी कुर्बान खड़ी थी ,
शौर्य बसंत आया था ,
रंग बसंती छाया था ।
सत्तर बरस......
बलिदानी उनका कर्म था ,
मर मिटना जिनका धर्म था ,
आओ शौर्य गीत गाएँ
वीरों को अमर बनाएँ ,
सक्षम भारत वर्ष बनाएँ
आज़ादी की अलख जगाएँ ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on August 18, 2017 at 11:09am
आदरणीय श्याम नारायण जी सृजन पर प्रतिक्रिया देकर सार्थक करने का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Mohammed Arif on August 18, 2017 at 11:07am
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी सृजन को सम्मान देने का बहुत-बहुत आभार । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 18, 2017 at 4:44am
आद0 मोहम्मद आरिफ भाई जी बेहद खूबसूरत सृजन, जश्ने आजादी पर। कोटिश बधाइयाँ
Comment by Shyam Narain Verma on August 17, 2017 at 3:52pm

"देशभक्ति के भाव से सजी रचना हेतु सादर बधाई |"

Comment by Mohammed Arif on August 17, 2017 at 7:40am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय मोहित मुक्त जी ।
Comment by Mohammed Arif on August 16, 2017 at 1:22pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय वासुदेव जी । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on August 16, 2017 at 11:52am
मोहम्मद आरिफ जी इस आज़ादी की अलख जगाती कविता की हृदय से बधाई।
आओ शौर्य गीत गाएँ
वीरों को अमर बनाएँ ,
सक्षम भारत वर्ष बनाएँ
आज़ादी की अलख जगाएँ । बहुत खूब
Comment by Mohammed Arif on August 15, 2017 at 7:44pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । यौमे आज़ादी की ढेरों-ढेरों मुबारकबाद ।
Comment by Samar kabeer on August 15, 2017 at 6:14pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,यौम-ए-आज़ादी पर मंच को आपने बढ़िया कविता से अच्छा तोहफ़ा दिया,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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