For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वक्त मेरे हाथों से, यूँ फिसल गया चुपचाप

212 1222 212 1222

वक्त मेरे हाथों से, यूँ फिसल गया चुपचाप

मेरी हर तमन्ना को, वो कुचल गया चुपचाप

 

चाक दिल, शिकस्ता पा, बेचराग़ गलियों से

भूल अपने ख्वाबों को, मैं निकल गया चुपचाप

 

एक आइना था मैं, कोई वार मौसम का

देखिये मेरी फितरत, ही बदल गया चुपचाप

 

कब तलक बचा रहता, आग थी मेरे अंदर

जलना ही था मुझको तो, देख जल गया चुपचाप

 

साथ खींच कर अपने, दिन को शाम तक देखो

छोड़कर मुझे हैराँ, शम्स ढल गया चुपचाप

 

Meaning:

चाक दिल – जख़्मी दिल, शिकस्ता पा – असहाय, फितरत -  स्वभाव, शम्स – सूरज 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 600

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 24, 2017 at 9:02pm

आदरनीय शिज्जु भाई , बहुत शान्दार गज़ल हुई है , सभी अशआर काबिले दाद हैं , बधाइयाँ स्वीकार करें

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 20, 2017 at 9:53pm
वाह आदरणीय बहुत शानदार ग़ज़ल हुई...
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 20, 2017 at 4:25pm

आदरणीय शिज्जू जी .काफी समय के बाद आपकी रचना के रसास्वादन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है आपकी रचनाओं के माध्यम से जहाँ उर्दू के शब्दों की नवीनतम जानकारी मिलती है वही सोच को भी व्यापक आयाम मिलता है नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाये प्रेषित करते हे हार्दिक बधाई प्रेषित कर रहा हूँ /सादर 

Comment by जयनित कुमार मेहता on January 20, 2017 at 5:39am
आदरणीय शिज्जु शकूर जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने। बहुत बहुत बधाई आपको।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 19, 2017 at 11:54pm
आदरणीय शिज्जु शकूर साहब,उम्दा गजल के लिए दिली दाद संग मुबारकबाद!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 19, 2017 at 10:52pm

आदरणीय शिज्जू भाई जी, लाज़वाब ग़ज़ल कही है. दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by Samar kabeer on January 19, 2017 at 9:39pm
जनाब शिज्जु शकूर साहिब आदाब,भाई क्या ही उम्दा ग़ज़ल कही है,मज़ा आ गया,दिल ख़ुश कर दिया आपने,वाह बहुत ख़ूब, इस बहतरीन ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service