For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अम्मा आयी है......

नाती नातिन से मिलने को अम्मा आयी है|
बड़े दिनों के बाद मेरे घर अम्मा आयी है||

बच्चों से छुप छुप कर सुरती पान चबाती है|
पान का डिब्बा और तम्बाखू अम्मा लायी है||

मेरे घर का पानी भी मुश्किल से पीती है|
एक कनस्तर लड्डू मट्ठी अम्मा लायी है||

दिखे जमाई घर के अन्दर झट छुप जाती है|
शर्मो हया का संग पिटारा अम्मा लायी है||

इस दुनिया की है या फिर उस दुनिया की है|
भर कर देसी घी के पीपे अम्मा लायी है||

मुझे बिठा कर बिस्तर में खुद, ‘‘मैं’’ बन जाती हैं|
चार नौकरों जैसी ताकत अम्मा लायी है||

ऐसी अम्मा सबको देना मेरी इच्छा है|
प्रभु भजन की ढेर किताबें अम्मा लायी है||

.............................................................................................आभा

....अप्रकाशित एवं मौलिक 

.

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abha saxena Doonwi on November 1, 2016 at 4:41pm

आदरणीय सुचिसंदीप अग्रवाल जी ..आपके इस स्नेह की मैं दिल से आभारी हूँ .बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" on October 28, 2016 at 10:04am
बहुत खूबसूरत। लाजवाब
Comment by Abha saxena Doonwi on October 26, 2016 at 3:21pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी नमस्कार , आपके स्नेह के लिए मैं बहुत ही आभारी हूँ रचना आपको पसंद आयी मुझे अच्छा लगा ...

Comment by Abha saxena Doonwi on October 26, 2016 at 3:18pm

"आदरणीय राम बलि गुप्ता जी  जी-मेरी अकिंचन सी रचना पर आपकी सराहना का बहुत आभार, सादर अभिनन्दन ...आभार आपका 

Comment by Abha saxena Doonwi on October 26, 2016 at 3:16pm

आदरणीय सुनील प्रसाद (शाहाबादी ) जी-मेरी अकिंचन सी रचना पर आपकी सराहना का बहुत आभार, सादर वंदन।"

Comment by Abha saxena Doonwi on October 26, 2016 at 3:15pm

आदरणीय sheikh shahzaad usmaani साहब जी  मेरी  रचना आपको पसंद आयी यह मेरे लिए गर्व की बात है शुक्रिया आपका ..आभार 

Comment by Abha saxena Doonwi on October 26, 2016 at 3:12pm

आदरणीय समर कबीर जी नमस्कार, आपने मेरी रचना को पढ़ा पहले तो ये ही  बहुत बड़ी बात है मेरे लिए ..उस पर आपने सराहा यह उससे भी बड़ी बात है ...बहुत बहुत शुक्रिया आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 26, 2016 at 9:37am

आदरणीया आभा जी , अम्मा पर बहुत अच्छी द्वीपदियों की रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Shyam Narain Verma on October 25, 2016 at 4:01pm
इस भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई
Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 12:46pm
वाह बहुत अचछी कविता है आदरणीया। बधाई लीजिये।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service