| २१२२ २१२२ २१२२ २१२२ | 
| कामयाबी रंग लाये तब जमाना पास आये | | 
| रंज बैरी भूल जाये हाथ थामे रास आये | | 
| पात ना आये अगर डाली कहीं सूखी हुई हो , | 
| फूल डाली पर खिले जैसे नजारा खास आये | | 
| हार कर मायूस होना ये कहाँ का हौसला है , | 
| चाह मंजिल की अगर हो जीत खुद ही पास आये | | 
| जले गा जब दीप तो होगा उजाला घर नगर में , | 
| तोड़ नफ़रत की दिवारें तब पड़ोसी पास आये | | 
| राह हो आसान तो कोई गुजर जाये खुशी से , | 
| खोह घाटी का सफर वर्मा किसे अब रास आये | . | 
| श्याम नारायण वर्मा | 
| (मौलिक व अप्रकाशित) | 
Comment
आदरणीय गिरिराज जी और वंदना जी हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया |
| पात ना आये अगर डाली कहीं सूखी हुई हो , | 
| फूल डाली पर खिले जैसे नजारा खास आये | | 
| हार कर मायूस होना ये कहाँ का हौसला है , | 
| चाह मंजिल की अगर हो जीत खुद ही पास आये | वाह बहुत खूब आदरणीय श्याम जी | 
आदरणीय श्याम नारयण भाई , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
| हार कर मायूस होना ये कहाँ का हौसला है , | 
| चाह मंजिल की अगर हो जीत खुद ही पास आये | -- लाजवाब बात कही , भाई जी आपको बहुत बधाई । | 
आदरणीय गुमनाम जी , हरी प्रकाश जी , मिथिलेश जी , उमेश जी , डॉक्टर विजय शंकर जी , खुर्शीद जी , कृष्ण मिश्र जी और परी जी सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
मिथिलेश जी सही राय देने के लिए आप का बहुत बहुत आभार |
सादर .....
बहुत ही उम्दा गज़ल हुयी है,हार्दिक बधाई! आदरणीय!
| पात ना आये अगर डाली कहीं सूखी हुई हो , | 
| फूल डाली पर खिले जैसे नजारा खास आये | | 
| हार कर मायूस होना ये कहाँ का हौसला है , | 
| चाह मंजिल की अगर हो जीत खुद ही पास आये | आदरणीय श्याम जी ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन | | 
अच्छी प्रस्तुति साहब
आदरणीय श्याम नरैन वर्मा जी इस सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई
मेरे हिसाब से यदि उचित लगे तो कुछ मिसरे ऐसे कहें तो --->
जले गा जब दीप तो होगा उजाला घर नगर में ---->अब जलाओं दीप तो होगा उजाला घर, नगर में (जले में ले मात्रा नहीं गिरा सकते)
राह हो आसान तो कोई गुजर जाये खुशी से----> राह हो आसान तो कोई निकल जाये खुशी से ( गुजर जाना दुनिया से गुजरने की ओर संकेत कर रहा है या गुजर जाए का अर्थ मौत ध्वनित हो रहा है )
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