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ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.

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2014041807

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2015 at 9:44pm

आदरणीय अभय कान्त झा जी, आप स्वयम से "अप्रकाशित" का एक अनोखा और अलग अर्थ लगा  बैठे हैं जबकि ओ बी ओ नियमावली में सब कुछ स्पष्ट और विस्तार से साझा किया हुआ है, अनुरोध है कि पुनः एक बार अध्ययन कर लें.
खेद के साथ कहना है कि आपकी पूर्व प्रकाशित ग़ज़ल कुछ समय पश्चात ओ बी ओ प्रबंधन स्तर से हटा दी जायेगी. सादर.   

Comment by Abhay Kant Jha Deepraaj on April 18, 2015 at 9:36pm

आदरणीय बागी जी ! यह रचना इस पृष्ठ के सुधी पाठकों के लिए पूर्णतः नवीन है और जैसा मैं अपने ज्ञान से लिख पाता हूँ उसे इस पृष्ठ के सुधी पाठकों की अदालत में प्रस्तुत कर और कुछ सीखने की इच्छा से मैं यहाँ अपनी रचनायें प्रकाशित करने की अनुमति की कामना रखता हूँ ..... यदि अन्यत्र कहीं भी और कभी भी प्रकाशित रचना के लिए इस पृष्ठ पर प्रकाशन प्रति बंधित है तो मैं क्षमा याचना के साथ रचना को डिलीट करने का अधिकार आपको प्रदान करता हूँ ....... धन्यवाद सहित..... अभय कान्त झा"दीपराज"


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2015 at 6:55pm

बड़े ही तिर्यक कहन के साथ ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें आदरणीय.

एक महत्वपूर्ण प्रश्न : क्या यह प्रस्तुति "अप्रकाशित" श्रेणी में है जैसा की आपने घोषित कर रखी है ???

आदरणीय दीपराज जी मैं आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा कि ओ बी ओ नियमानुसार केवल अप्रकाशित रचनाएँ / ग़ज़लें इस मंच पर स्वीकार होती हैं .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 18, 2015 at 4:28pm

आ० दीप्रराज जी

मुझे आपकी रचना बहुत अच्छी   लगी . शिल्प के बारे में गुनीजन जानें .

Comment by narendrasinh chauhan on April 18, 2015 at 4:06pm

बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक ग़ज़ल

Comment by Samar kabeer on April 18, 2015 at 10:35am
जनाब दीपराज जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें |
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 18, 2015 at 10:25am
बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक ग़ज़ल की प्रस्तुति ,सारगर्भित, भावपूर्ण, अर्थ पूर्ण, आदरणीय अभय कान्त झा जी ,बहुत बहुत बधाई।
Comment by Tapan Dubey on March 15, 2011 at 3:23pm
बहुत खूब अभय दीपराज जी

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