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Abhay Kant Jha Deepraaj's Blog (29)

ग़ज़ल क्रमांक - २

ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.

एडमिन

2014041807

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on April 18, 2015 at 2:00am — 8 Comments

ग़ज़ल क्रमांक - १

ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.

एडमिन

2014041907

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on April 16, 2015 at 9:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 28

                        ग़ज़ल



पूछिए मत किस तरह ?  घड़ियाँ  मुक़म्मिल कर रहा हूँ |

लोग  कहते  हैं  कि -  ज़िंदा  हूँ   मगर   मैं  मर  रहा  हूँ ||



तख्त    मेरा    बन    गया    ताबूत    अब    मेरे   लिए,

कब्र  तक जाने  का  ही  अब  फ़र्ज़  मैं  ये  कर  रहा   हूँ ||



रौशनी   भी  अब  तो   धुँधलापन   लिए   दिखने   लगी,

फिर भी, कल शायद सुबह हो,   इसलिए मैं लड़ रहा…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on March 13, 2011 at 12:30am — No Comments

GHAZAL - 27

                      ग़ज़ल



दोस्त   मेरी   दोस्ती   पर   नाज़   करके   देख   ले |

गीत  हूँ  मैं,  अपने  दिल  को  साज़  करके देख ले ||



मैं  तुझे  एक  शाह  का  रुतबा   दिला   दूँगा   कभी,

प्यार  से  तू  मुझको  अपना  ताज  करके  देख ले ||



गर  कभी  मैं  तल्ख़  था,   वो बदजुनूं था प्यार का,

दिल  नहीं  बदला  मेरा,   अंदाज़  कर  के  देख  ले ||



आज  भी  मैं  गुज़रे  कल  का  आदमी …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 20, 2011 at 9:25pm — 1 Comment

GHAZAL - 26

                          ग़ज़ल



मैं  हिस्सा  हूँ  उस  समाज  का,  जो  विवेक  से अंधा है |

लूट  क़त्ल  और  बेशर्मी,   हाँ   मेरे   खून   का  धंधा  है ||



बेइमानी और मक्कारी,  अपना हित, औरों का शोषण,

चालाकी  से  करने  वाला,   यहाँ   खुदा   का   बन्दा   है ||



धर्म छोड़कर,  शर्म छोड़कर,  ओढ़  लबादा  पशुता  का,

दानवता  के  पथ  पर  चलना,   प्यारा   गोरखधंधा   है ||



हाथ  में …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 20, 2011 at 8:58pm — No Comments

Ghazal - 7

                               ग़ज़ल



सौ  अफसानों  जैसा  मेरा,  भी बस इतना  अफ़साना  है |

जिस दुनिया ने दर्द दिया है, दिल  उसका  ही  दीवाना है ||



शायद वो  तस्वीर   हो ऐसी,  जो  इस  दिल  को  पहचाने,

इसी आश में जिआ हूँ अब तक, और यूँ ही जीते जाना है ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 4, 2011 at 7:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 25

                ग़ज़ल



हर   रिफअत  मुझसे  फकत,   सादमां  रहा |


ज़ुल्म  थी  ज़मीं   और   कहर  आसमां  रहा ||



खुर्शीद -ओ- चाँद-तारे,  शोले  बने  हैं  आज,


गुल  है  न   कोई   गुलशन  न  बागवां  रहा ||



मिलते   नहीं   हैं   रिश्ते,  वज्मे - ज़हान  में,


साकी  के  मय को मयक़स,  है आजमा रहा ||



हसरत है ज़िंदा लेकिन अब मर चुका है दिल,…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 9:00pm — 1 Comment

GHAZAL - 24

                    ग़ज़ल



इन्सां  तेरे  कदम  तक,   ये  आसमां  झुके |

मंजिल  न  हो  जहाँ,  न  वहाँ  कारवाँ  रुके ||



हस्ती है तेरी खुद में  चिरागां -ए-शब्,  सहर,


तूफां  है  तू  वो,  देख  जिसे,  हर  रवां  रुके ||



रौशन हैं तुझसे रौशनी,  के कारवाँ -ओ- दर,


मुमकिन है, तू जो चाहे, तो खुद, खुदा झुके ||



मंजिल है तेरी वो क़ि-  ज़न्नत  को  रश्क  है,…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:58pm — 4 Comments

GHAZAL - 23

    ग़ज़ल



हमनें हज़ार गम इस,  दिल से लगा लिए हैं |

जब
दर्द हद से गुजरा,  आँसूं  बहा  लिए  हैं ||



उनका भरम है शायद,  काँटों को मैं ने चाहा,

पर, राह में मिले तो,  ये  साथ  आ  लिए हैं ||



है किसके दिल की चाहत, उसे चैन न मिले,

पर,  आश  के  दीपक,  बस नाम के दिये है ||



कभी इसके दर पे बैठे, कभी उसके दर पे बैठे,

ये …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:30pm — 4 Comments

GHAZAL - 22

                       ग़ज़ल





फ़र्ज़  के  पैगाम  का  बस,  उम्र  भर  ये  स्वर  सुना  है |

युग विजेता बन  मनुज  तू ,  जिसने ये अम्बर बुना है ||



वो  कि -   जो  बैठे  हुए  थे   खुद   किनारों  पर   कहीं,

कह  रहे  थे -   खास  गहरा  नहीं  ये  सागर,  सुना  है ||



कल  न  जाने  बात  क्या  थी ?  आसमां  नीचा  लगा,

आज  जब  उँचाई  उसकी  नाप  ली  तो  सिर  धुना  है ||



लौट  कर  आया  नहीं,  उस  ख़त  के  बदले  कोई…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 7:46pm — 1 Comment

GHAZAL - 21

ग़ज़ल





भारत  माता  माँग  रही  है - इस  नीति  से  पूर  विधान |

जिसमें हों सब  भाई बराबर, जाति - धर्मं से दूर, समान ||



जिसमें किसी की हो न उपेक्षा, मिले बराबर का अधिकार,

सब  हों  माँ  के एक से बेटे- अधिकारी, मजदूर, किसान ||



तंग  दिलों  से  बाहर  आ  कर, आओ,  रचें हम वह संसार.

जिसमें  सुख की हो सुगंध पर हों न दुखों के क्रूर निशान ||



बात   जोहती   है  भारत माँ , बेटों   के  इस   न्याय   का ,

जिसकी …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 11:35am — 2 Comments

GHAZAL - 20

                    ग़ज़ल





मेरे  दिल  को  जलाने  वाले,  खुदा  तेरा  भी  दिल  जलाए |

मुझे जो तूने दिया है ये गम, तेरे भी दिल को सुकूँ न आये ||



मेरी  मुहब्बत  न तूने समझी, मुझे जो तूने दिया है ये गम,

खुदा तुझे भी अमन न बख्शे , तेरे चमन को खिज़ां जलाये ||



मेरी  वफ़ा  को जूनून  कहकर, मुझे जो तूने कहा है पागल,

तुझे   सजा   दे   खुदाई   इसकी, दर्द  तुझको  गले लगाए ||



जफा  के  खंज़र, का ये कातिल, दर्द क्या…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 11:05pm — No Comments

GHAZAL - 19

                 ग़ज़ल





दोस्तों, कुछ  रात  ऐसी  भी थी, जब  सोया  नहीं  मैं |

दर्द  से  तड़पा  बहुत  पर  चीख  कर  रोया  नहीं  मैं  ||



कोई  शीशा  सा  तड़क  कर,  टूट, दिल  में  आ चुभा,

इसलिए  उस  रात भर तक, ख्वाब में खोया नहीं मैं ||



कौन सी मंजिल है किसकी और कहाँ किसका मकाँ ?

कौन  है  इस  राह  पर  भटका  हुआ, वो  या  कहीं मैं ?



ज़िन्दगी   के   मायने,  अहसान …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 10:55pm — 2 Comments

GHAZAL - 18

                       ग़ज़ल





न  जाने  कब  वो  समझेंगे  मुहब्बत  मेरे इस दिल की |

सताती  है  बहुत  मुझको,  अदा  
ये  मेरे  कातिल  की ||



ज़माना  देख  कर  मुझको,  पलट  कर  के  उलझता  है,

नज़र   मेरी   तरफ   उठती  नहीं  पर  मेरी  मंजिल  की ||



जिन्हें   मेरी   तमन्ना   है,  मेरी   चाहत   नहीं  हैं  वो,

मेरी  चाहत  की  चाहत  मैं  नहीं, है  बात …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 22, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

GHAZAL - 17

                  ग़ज़ल



प्रश्न   मेरे  सामने  यह   एक   अन्धा   सा   कुआँ    है |

क्या हुआ जो दोस्त था कल आज वो दुश्मन  हुआ  है ||



जिसने  दी  थी  कल  खुशी, वो  आज  आँसू दे रहा,

ये   न  जाने   किसकी   मेरे   वास्ते एक …

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 20, 2010 at 3:00am — 2 Comments

GHAZAL - 16

                    ग़ज़ल



रात - रात  भर  सोते - जगते,  मैंने   उसे   मनाया   है |

फिर भी खुदा न मेरा अब तक, सिर  सहलाने  आया है ||



कहते हैं- मालिक ने हमको, तुमको, सबको, जन्म दिया,

पर  लगता  है - कोई  वो पागल था जिसने भरमाया है ||



एक …

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 19, 2010 at 12:00am — 2 Comments

GHAZAL - 15

                   ग़ज़ल



मैं   दर्दों   का   समंदर   हूँ,  ग़मों  का  आशियाना   हूँ |

मैं  जिंदा  लाश  हूँ , बीमार  दिल , घायल  फसाना हूँ ||



बदन  पर  ये  हजारों  ज़ख्म, तोहफे  हैं  ये  अपनों के,

मैं  जिनके  प्यार  का  बीमार, आशिक हूँ , दिवाना हूँ ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 9:30pm — 1 Comment

GHAZAL - 14

                               ग़ज़ल



बहुत  विषैला  है  विष  यारो,  दुनिया   की  सच्चाई  का |

आखिर,   कैसे  दर्द  सहें  हम,  दिल  में  फटी बिवाई का ||



बनकर  इन्सां  जीते - जीते  खुद  को  हमने  लुटा  दिया,

फिर  भी  तमगा मिला न हमको एक अदद अच्छाई का ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 2:00am — 2 Comments

GHAZAL - 11

                       ग़ज़ल





दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |

तुझमें    ही    सारी   दुनिया,   और    मेरा    संसार    है ||



प्यार है इतना नज़र से ,   दिल   तलक   तेरे   वास्ते ,

ज़र्रे - ज़र्रे    में    तेरा    ही    अक्श    एक    दरकार   है ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 15, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 5

                          ग़ज़ल



मीत   मेरे   मैं   तुम्हारी   रूह   का   श्रृंगार   हूँ |

प्यार हो तुम मेरे दिल का, मैं तुम्हारा  प्यार हूँ ||



हर   ख़ुशी  और  राह  मेरी,   मीत  मेरे  एक है,

तू मेरा आधार  प्रियतम,  मैं   तेरा  आधार  हूँ ||



तू…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — No Comments

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