For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया ... मृगतृष्णा

( गुरुजनों की समीक्षार्थ प्रस्तुत )

तृष्णा मृग की ज्यों उसे, सहरा में भटकाय |

तपती रेत में देता , जल का बिम्ब दिखाय ||

जल का बिम्ब दिखाय,  बुझे पर प्यास न उसकी|

त्यों माया से होय , बुद्धि कुंठित मानव की ||

प्रज्ञा का पट खोल, नाम ले राधे - कृष्णा |

सुमिरन करते साथ, मिटेगी हरेक तृष्णा ||

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 633

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 3:26am

इस मंच पर उपलब्ध छन्दों से सम्बन्धित आलेखों का अध्ययन करें तदनुरूप प्रयास करें. अवश्य लाभ होगा.

सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 27, 2014 at 1:20pm

आदरणीया शालिनी जी ..कुंडलियों मुझे पढने में अच्छी लगी तकनीकी पक्ष के बिषय में ज्यादा जानकारी नहीं है ..आदरणीय गोपाल सर की प्रतिक्रिया से ही इस बिषय पर कुछ जानकारी मैली ..ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2014 at 7:45pm

आदरनीया शालिनि जी , कुन्दलिया सुन्दर रची है , बधाइयाँ । आ. गोपाल भाई  की सलाहों पर गौर कीजियेगा ॥

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 26, 2014 at 11:10am

सुन्दर भावों के साथ अच्छा प्रयास है . प्रबुद्ध जनों के सुझावों पर अमल करते रहें . जल्दी ही इस कला में माहिर हो जाएँगी . हार्दिक बधाई .

Comment by shalini rastogi on June 25, 2014 at 9:16pm

प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद annapurna bajpai जी 

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 5:59pm

सुंदर भाव , अच्छा प्रयास । जारी रक्खें । 

Comment by shalini rastogi on June 25, 2014 at 4:17pm

हार्दिक आभार asha pandey ojha जी 

Comment by asha pandey ojha on June 25, 2014 at 4:15pm

utkrisht

Comment by shalini rastogi on June 24, 2014 at 6:13pm

आदरेया  rajesh kumari आपकी इस सुझावपरक  टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद !

Comment by shalini rastogi on June 24, 2014 at 6:11pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी , इतने विस्तार से दोहा छंद की बारीकियां समझाने के लिए धन्यवाद .. मैं वाक़ई इन बारीकियों से अनभिज्ञ थी .. प्रयास करुँगी की छंद विधान के अनुरूप शुद्धता ला सकूं .. कृपया मार्गदर्शन करते रहिये .. हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
12 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
18 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service