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तंत्र-मन्त्र-यंत्र--- डॉo विजय शंकर

तंत्र को नैये-नैये मंत्र मिल रहे हैं ,
सफलता और विकास के नैये-नैये
शब्दकोष रचे जा रहे हैं ,
शब्द , नैये-नैये अर्थ पा रहें हैं ,
अर्थ , पुरुषार्थ में पुरोधा बन रहे हैं।
पा लें , सब पा लें की होड़ लगी हैं ,
क्या खो रहें हैं , देख नहीं पा रहें हैं।
सत्ता , मद - यामिनी ,
सिंहासन , पद - वाहिनी ,
जब डोलता है तो ,
डोलता हुआ नहीं लगता है ,
झूला झुलाता हुआ लगता है ,
जागो , जागते रहो , कहनेवाला ,
खुद नींद में सोया-सोया लगता है।
आगे बढ़ने के नाम पर
आगे बढ़ नहीं रहे हैं ,
इधर-उधर देख रहे हैं ,
हर एक दूसरे को
अपने पीछे बता रहे हैं ,
सफलता के रास्ते कठिन हैं ,
नित नैये यंत्र मन्त्र खोजे जा रहे हैं।
हम फिर आएंगे , हम ही आएंगे ,
पूंछ रहें हैं , बता नहीं पा रहें हैं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2016 at 10:24pm
आदरणीय सुश्री कल्पना भट्ट जी , रचना तो साधारण सी सामयिक है , आपके दो शब्दों ने उसका मान बढ़ा दिया है। आभार एवं धन्यवाद। सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:59pm

प्यारी सी रचना है अलग अंदाज़ की |

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2016 at 10:02am
आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2016 at 10:02am
आदरणीय शिज्जु शकूर जी , आभार एवं धन्यवाद।
आपका प्रश्न , बचपन से इस प्रकार की भिन्नताएं देखते आ रहे हैं , कविता और नाटक या कहानी के संवादों में तो विशेष तौर से। कविता में भी किसी शब्द को emphasize करने के लिए ऐसा कर लेते हैं। अंग्रेजी में भी ऐसे उदाहरण मिल जाते हैं , जैसे ,soooooo sorry .
सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 27, 2016 at 9:57am
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , आभार एवं धन्यवाद। सादर।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 8:59am
नैयै नैये ढंग की सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय विजय जी। सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 4:09pm

अच्छी रचना हुई है आ. विजय शंकर सर बधाई, पर क्या नये को नैये लिखना क्या सही है

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 25, 2016 at 7:27pm

आ० विजय सर . अनिवर्चनीय  , क्या नैय्ये नैय्ये ढंग से कही . वाह .

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