For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अस्तित्व -- डॉo विजय शंकर

विशालता - सूक्ष्मता
का अनूठा संगम हैं प्रकृति,
हाथी भी है , चींटी भी है,
सूक्ष्म जीव , जीवाणु ,
कीट , कीटाणु भी हैं
दोनों का भोजन है ,
भूखा कोई नहीं है ,
इंसान को समझो ,
उसे न्यून मत करो ,
इतना न्यून तो
बिलकुल मत करो
कि वह सूक्ष्म हो जाए ,
और तुम्हें दिखाई भी न दे ,
कीटाणु की तरह ,
रोगाणु की तरह ,
रहेगा तब भी वह समाज में,
सोचो , क्या करेगा ?
समाज को ही रोगी करेगा।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 18, 2016 at 8:19am
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी , आपकी विवेचना और प्रशस्ति ह्रदय साभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 18, 2016 at 8:19am
आदरणीय श्री सुनील जी , विवेचना और प्रशस्ति के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 18, 2016 at 8:16am
आदरणीय शेख सहजाद उस्मानी जी , विशद प्रशस्ति के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 18, 2016 at 8:08am

आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी सादर बिलकुल ठीक कहा है आदमी के आदमी बने रहने में ही समाज की भलाई है. सादर.

Comment by shree suneel on July 18, 2016 at 3:08am
चिंतन-मनन के योग्य.. . बहुत ही सार्थक समर्थ प्रस्तुति.
इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डॉ विजय शंकर सर जी. सादर.
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 17, 2016 at 8:32am
सामान्य किन्तु तीखी सचेत करती, अहम मुद्दे उठाती सार्थक रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 17, 2016 at 3:33am
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , आपकी समस्त बधाइयों के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 16, 2016 at 11:40pm
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , रचना आप तक अपने भाव पहुंचाने में सफल हुयी , आपने उसे मान दिया , आपका आभार , बधाई ढके लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 16, 2016 at 11:40pm
आदरणीय सुश्री राहिला जी , रचना आपको कर सकी आभार , आपकी बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 16, 2016 at 3:46pm

आदरणीय विजय सर ..चिंतन के लिए प्रेरित करती इस शसक्त रचना के लिए ढेर सारी शुभकामनायें स्वीकार करें सादर प्रणाम के साथ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service