For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नसीब आने पर ( लघु-कथा ) - डॉo विजय शंकर

एक बहुत गरीब आदमी था। गाँव के लोगों के छोटे-मोटे काम करता रहता था , लोग जो दे देते उसी से अपने परिवार की गुजर बसर कर लेता था। गरीबी से परेशान फिर भी शांत। जीवन भी अनुभव के अलावा उसे कुछ दे नहीं रहा था। एक बार उसने सारा दिन गाँव के कुम्हार के घर काम किया। शाम को खुश होकर कुम्हार ने उससे कहा , जाओ एक बर्तन उठा लो , जो अच्छा लगे , जो तुम चाहो , बड़े से बड़ा।" पर उससे कुछ सोचते हुए एक छोटी सी गुल्लक उठाई। कुम्हार यह देख कर मुस्कुराया पर कुछ बोला नहीं। उसने कुम्हार को धन्यवाद दिया और अपने घर चला गया। घर पँहुच कर उसने अपने बेटे को गुल्लक दी। बेटे ने पूछा , " यह क्या है ? "
उसने कहा ," बेटे यह गुल्लक है , इसमें लोग अपने बचे हुए पैसे , धन रखते हैं। "
" क्यों " , बेटे ने स्वाभाविक सा प्रश्न किया।
" इसलिए कि कभी मुसीबत आ जाए या कोई जरूरत पड़ जाए और पैसों की जरूरत पड़ जाए तो वे गुल्लक फोड़ कर उन पैसों से अपना काम निकाल लें " उसने अपने बेटे को समझाया।
" तो हम इस में क्या रखेंगे ? " बेटे ने गुमसुम होकर कहा।
" बेटे , तुम्हारे जितने भी अरमान हों , जितने भी सपने हों वो तुम इस गुल्लक में डालते जाना , उन्हें याद रखना " , फिर कुछ रुक कर बोला , " और जब तुम्हारे अच्छे दिन आयें , तुम्हारे नसीब जागें तब तुम अपनी यही गुल्लक फोड़ लेना।"


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 895

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by munish tanha on June 30, 2016 at 8:34am

साहिब कहानी अच्छी है पर बच्चे को सिर्फ सपने गुल्लक में देना बात हजम नहीं हुआ बेहतर होता बच्चे को कोई आगे बढने की बात बताई जाती ताकि वो बेहतर जीवन की ओर अग्रसर होता    

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 29, 2016 at 9:15am
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , आपकी उपस्थिति एवं साद भवनाओंकेलिए आभार एवं धन्यवाद। सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 28, 2016 at 2:15pm

आदरणीय विजय सर इस सन्देश प्रद लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 28, 2016 at 8:11am
आदरणीय सुशील सरना जी , रचना को अभीष्ट स्वीकृति प्रदान करते हुए आपने बहुत ही सुन्दर प्रतिक्रिया व्यक्त की है ,वास्तव में सुख दुःख तो आते जाते रहते हैं। आपके सद् विचारों केलिए आपका हार्दिक आभार एवं धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 28, 2016 at 8:08am
आदरणीय सुश्री प्रतिभा पाण्डेय जी , रचना को स्वीकृति प्रदान करते हुए आपने बहुत ही सुन्दर प्रतिक्रिया व्यक्त की है ,आपका हार्दिक आभार एवं धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 28, 2016 at 8:01am
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी , रचना की स्वीकृति , सुन्दर एवं सार्थक प्रशस्ति के लिए आ हार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 28, 2016 at 8:01am
आदरणीय हर्ष महाजन जी , रचना की स्वीकृति एवं प्रशस्ति के लिए आ हार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 28, 2016 at 8:00am
आदरणीय सुश्री राहिला जी , कथा पर आपकी उपस्थ्ति , प्रशस्ति एवं बधाई के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 28, 2016 at 8:00am
आपको रचना पसंद आई , आभार एवं धन्यवाद ,आदरणीय हरिकिशन ओझा जी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 28, 2016 at 7:59am
प्रशस्ति के लिए आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद , आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service