For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हँसिये मुस्कुराइये --- डॉo विजय शंकर

बीवी ने किचेन के सामान का पर्चा दिया
मात्रा गिनी उन्होंने और खारिज कर दिया ||

बोले बीवी से इसमें वज्न और बढ़ाइये
वो बोलीं पर्स देखिये सामान ले आइये ॥

आटा दाल चावल वजन के हिसाब से लाइए
मसाले हलके पैकेट स्वाद में तेज लाइए ||

बोले काफ़िया नहीं मिल रहा काफ़िया मिलाइये
वो बोलीं काफ़िया छोड़िये आप कॉफी ले आइये ||

मात्रा और काफिये से गृहस्थी नहीं चलती
नून औ तेल से चलती है, उसी से चलाइये ||

गृहस्थी किचेन के कुछ उसूल हुआ करते हैं
शायरी वहां नहीं , ड्राइंगरूम में चलाइये ||

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 23, 2015 at 8:18am
आदरणीय सुश्री कान्ता रॉय जी , आपको रचना अच्छी लगी , बहुत बहुत आभार , धन्यवाद , सादर।
Comment by kanta roy on September 22, 2015 at 10:23am
वाह !!!! बडी ही रोचकता भरी ये गजल हुई है । गृहस्थी की नून - तेल और काफिये का झोल - झाल को एक नये कलेवर में पेश कर पढते हुए मुस्कराहट दे जाती है । बहुत खूब आदरणीय डा. विजय शंकर जी , बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 21, 2015 at 10:55pm
रचना आपको अच्छी लगी , धन्यवाद , आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी , सादर।
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 21, 2015 at 10:15pm

मात्रा और काफिये से गृहस्थी नहीं चलती
नून औ तेल से चलती है, उसी से चलाइये ||...........वाह ! 

बहुत सुंदर हास्य रचना.

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 17, 2015 at 6:56am
धन्यवाद , आदरणीय सुश्री प्रतिभा पांडे जी , सादर।
Comment by pratibha pande on September 16, 2015 at 9:47pm

'मात्रा और काफिये से गृहस्थी नहीं चलती '  वाह    आदरणीय  ,बधाई आपको इस रचना के लिए सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 16, 2015 at 7:26am
आदरणीय आमोद विनदौरी जी , रचना को स्वीकृति प्रदान करने हेतु आपका बहुत बहुत आभार एवं हार्दिक धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 16, 2015 at 7:23am
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , रचना आपको पसंद आई , आपका बहुत बहुत आभार एवं हार्दिक धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 16, 2015 at 7:20am
आदरणीय श्री सुनील जी , रचना आपको पसंद आई , आपका बहुत बहुत आभार , धन्यवाद , सादर।
Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 15, 2015 at 5:54pm
क्या बात है सर
बेहद सुन्दर
बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
8 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service