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ग़ज़ल (बह्र -फेलुन) यह ग़ज़ल दुनिया की सबसे छोटी ग़ज़ल है। इसे "गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स" में शामिल किया गया है ।

*जीवन
उलझन ।

* सूने
आँगन ।

* घर-घर
अनबन ।

* उजड़े
गुलशन ।

* खोया
बचपन ।

*भटका
यौवन ।

* झूठे
अनशन ।

* ख़ाली
बरतन ।

* सहमी
धड़कन ।

.
मौलिक और अप्रकाशित ।

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Comment

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 12, 2017 at 10:32pm
आदरणीय मनोज कुमार अहसास जी, आदाब। मुझे लगता है कि दरअसल यहां महत्वपूर्ण यह है कि छोटे शब्दों/सूक्ष्मतम बह्र में गूढ़तम अर्थ हैं, ग़ज़ल की गहराई है, सम्प्रेषण सफल है विचारोत्तेजक है। आम पाठक भी ग्रहण कर लेता है। इसका एक अलग तरह का गंभीर भावपूर्ण वाचन/गायन संभव है; (मेरे विचार से गुलज़ार साहब की शैली का ग़ज़ल पाठ) शेष हमें विशेषज्ञ ही समालोचना सहित समझायें, तो बेहतर। सादर।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 12, 2017 at 5:39pm
क्या बात है आदरणीय, बहुत खूब
Comment by Mohammed Arif on October 12, 2017 at 2:32pm
हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीय कालीपद प्रसाद जी ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 11, 2017 at 7:22am

जनाब मोहम्मद आरिफ जी आदाब , बहुत शानदार ग़ज़ल |गागर में सागर ||बहुत बहुत बधाई आपको |सादर मामन 

Comment by Mohammed Arif on October 9, 2017 at 8:44am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी ।
Comment by surender insan on October 7, 2017 at 6:54pm
वाह जी बहुत उम्दा जी। बहुत बहुत बधाई हो आदरनीय । सादर नमन जी।
Comment by Mohammed Arif on October 1, 2017 at 5:03pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी ।
Comment by Mohammed Arif on October 1, 2017 at 5:01pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीया अलका जी ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 1, 2017 at 1:17pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी,  इस शानदार उपलब्धि पर हार्दिक बधाई।सादर

Comment by Ravi Shukla on September 27, 2017 at 11:54am
बहुत बहुत बधाई आदरणीय मोहम्मद आरिफ साब ग़ज़ल के लिए और खिताब के लिए।

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