For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल 

अज़ीज़ बेलगामी

हर शब ये फ़िक्र चाँद के हाले कहाँ गए
हर सुबह ये खयाल उजाले कहाँ गए

अब है शराब पर या दवाओं पे इन्हेसार
जो नींद बख्श दें वो निवाले कहाँ गए

वो इल्तेजायें मेरी तहज्जुद की क्या हुईं
थी अर्श तक रसाई, वो नाले कहाँ गए

मंजिल पे आप धूम मचाने लगे जनाब
मुझ को ये फ़िक्र, पांव के छाले कहाँ गए

दस्ते कलम में आज भी अखलाक सोज़ियाँ
किरदारसाज थे जो रिसाले, कहाँ गए

गुलशन के बीच खिलने लगे हैं कँवल 'अज़ीज़'
कीचड में ढूँढता हूँ के लाले कहाँ गए"

Views: 602

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Azeez Belgaumi on May 15, 2011 at 11:17pm

सौरभ  पांडे जी ... आप ने कलाम पसंद किया .. ये मेरे लिए बड़ी हिम्मत अफजाई की बात है .. आप का शुक्रिया :

अज़ीज़ बेलगामी

09900222551


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 15, 2011 at 7:22pm

अज़ीज़ साहब आदाब..

इन बेहतर शेरों के लिये आपका शुक्रिया.

//मंजिल पे आप धूम मचाने लगे जनाब
मुझ को ये फ़िक्र, पांव के छाले कहाँ गए..//  ........ वाह.

Comment by Azeez Belgaumi on May 15, 2011 at 3:30pm
धन्यवाद् वंदना जी .. इसी तरह नवाजते रहें ..
अज़ीज़ बेलगामी
09900222551
Comment by Azeez Belgaumi on May 14, 2011 at 12:00pm
Ganesh Jee Bagi
की खिदमत में आदाब ... बहुत मशकूर हूँ के आप ने मेरी ग़ज़ल पसंद फरमाई
Comment by Azeez Belgaumi on May 14, 2011 at 11:55am
शुक्रिया इस्मत जैदी जी
अज़ीज़ बेलगामी
09900222551

Comment by Azeez Belgaumi on May 14, 2011 at 11:54am
डॉ. नमन दत्त जी  आप की हौसला अफजाई मेरे लिए बाईसे सद इफ़्तेख़ार है
अज़ीज़ बेलगामी
09900222551

Comment by Azeez Belgaumi on May 14, 2011 at 11:50am
रना प्रताप सिंह साहिब ... आप की मोहब्बतोउन का शुक्रिया
अज़ीज़ बेलगामी
09900222551

Comment by Azeez Belgaumi on May 14, 2011 at 11:49am
बहुत  बहुत  शुक्रिया  तिलक  राज  कपूर  जी ....इसी तरह हिम्मत अफजाई करते रहें
अज़ीज़ बेलगामी
09900222551
Comment by Tilak Raj Kapoor on May 14, 2011 at 11:24am

वाह साहब वाह।

खूबसूरत मुकम्‍मल ग़ज़ल के लिये बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on May 14, 2011 at 9:57am

अज़ीज़ साहब इस मेयारी शायरी के लिए ढेरों मुबारकबाद| आपके ओ बी ओ पर मौजूदगी हमेशा हमारे लिए फख्र का बायस रही है|

 

हर शब ये फ़िक्र चाँद के हाले कहाँ गए

हर सुबह ये खयाल उजाले कहाँ गए

 

शब् में चाँद का हाला और सुबह उजाला ....प्रतीकों में कही गई गहरी बात

 

अब है शराब पर या दवाओं पे इन्हेसार
जो नींद बख्श दें वो निवाले कहाँ गए

 

आज की कडवी सच्चाई

 

वो इल्तेजायें मेरी तहज्जुद की क्या हुईं
थी अर्श तक रसाई, वो नाले कहाँ गए

 

बहुत खूब

 

मंजिल पे आप धूम मचाने लगे जनाब
मुझ को ये फ़िक्र, पांव के छाले कहाँ गए

लाजावाब शेर

 

और मकता भी बेहतरीन| ढेर सारी दाद कबूलिये|

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
14 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service