For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अचानक कुछ होने का भय

कभी-कभी आत्मा को क्या पता क्यूँ..?

पहले से बोध करा देता है, कभी कभी सहसा

अचानक

ऐसा न हो कि

न छत्र न छाया न प्रथम सीढ़ी

और न ही कोई.....!

कहीं वक़्त का खोखलापन

मेरी आत्मा की गंभीरता

को तहस-नहस न कर दे..

मत भय खा चुप..! चुप व शांत रह

तू डरेगा तो क्या होगा..?

मत डर, कुछ नही होगा..रे

बस शांत होकर पीता जा..पीता जा

तुझे कभी कुछ नही होगा

लगने दे इल्जाम और लगाने दे

तू तो पालनहार है रे..पागल

सुन आ, बैठ मेरे पास,नजदीक और करीब

आराम से गहरी सांसो को छोड़ और

वापस गहरी ताज़ा सांसे खींच ले..

लेट जा, सुकून व इत्मिनान

बरक़रार रख अपना

वही, बचपन से अधेड़ता तक वाला

फिर अचानक

सुनो तो...इक बार...!

हाँ कहो..इत्मिनान से

आज वही रात है..न

हाँ..रे, मुझे सब पता है,

तू क्यूँ..परेशान है, और कोई

हो न हो..

सुनो...!

हाँ..कहो..

ऐसा न हो कि

न छत्र न छाया,न प्रथम सीढ़ी

और न कोई...!

फिर से..डर

चल...चुप , पीले..

कुछ ओर दिन-रात

वही सुकून, इत्मिनान और गहनता से

शाबाश...!

सो..जा

देख..सो जा,

भोर होने को है..!

       जितेन्द्र ' गीत '

  ( मौलिक व् अप्रकाशित )


Views: 848

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 10:48am

आपकी उत्साह्बर्धक प्रतिक्रिया से लेखन के प्रति, मनोबल दोगुना हो जाता है आदरणीय गिरिराज जी, आपका बहुत बहुत आभार, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 23, 2013 at 9:42am

मत डर, कुछ न्हीं होगा..रे...........नहीं 

लेट जा, सुकुन व् इत्मिनान...............सुकून 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 9:35am

सुंदर सरस भावपूर्ण बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय जीतेन्द्र जी 

Comment by vijay nikore on October 23, 2013 at 7:36am

सुन्दर सरल शब्दों में भावपूर्ण अभिव्यक्ति। बहुत बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 2:01am

आतुरता या गलत निर्णय, इन्सान को बहुत कुछ खोने पर विवश कर देता है, रहा बातों या मुश्किल क्षणों को पी जाने का तरीका, तो माफ़ कीजिये मेरे अनुभव में आज तक उस से फायदा ही हुआ है, आपने रचना को पसंद किया आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 1:51am

आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया ने मनोबल, दोगुना हुआ आदरणीय विजय मिश्र जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 1:48am

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखिये

सादर!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 22, 2013 at 7:55pm

आदरणीय जितेन्द्र भार्इ जी! सहज अभिव्यकित में क्या ढ़ाढ़स बधाया है........बहुत खूब। हार्दिक बधार्इ स्वीकार करे। सादर,

Comment by Amod Kumar Srivastava on October 22, 2013 at 7:32pm

सुंदर ... सार्थक रचना बधाई स्वीकार करें बंधुवर.... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 22, 2013 at 11:13am

जीतेन्द्र भाईजी.. !!! ..  ग़ज़ब !!!!...............

मैं इस कविता पर फिर से आता हूँ.  

तबतक क्या आप टंकण त्रुटियों को ठीक कर लेंगे ?...

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
15 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service