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इतिहास अदालत होती है क्या

कौन कहता है कि इतिहास कोईअदालत होती है 
जिस में हार गयों की महज़ मुखाल्फत होती है 
और यह भी कि 
यह केवल विजयी का फलसफा लिखती है 
सफे पर सफा लिखती है 
इसलिए  मान लिया जाना चाहिए

कि जीत  यकीनन लाजिमी है 
कैसे भी हो  पर हो केवल विजय

लेकिन

शायद सही हो भी 

मगर

तब भी 

सवाल यह बाकि रह ही जाता है
कि क्योकि 
इतिहास लिखवाता है कौन 
लिखता जाता है कौन 
मौन रहता क्यों मौन 
पोषक या शोषक की कहानी 
तलवारों की जुबानी 
तलहटी में छेद कहाँ देखती हैं 
पहरे देखती हैं 
पहरेदारों के श्वेद कहाँ देखती हैं 
जीतते हैं तो पांडव 
हारते हैं तो कौरव 
अक्षोहणी की कथा कहाँ लिखी जाती है 
गांधारियों की व्यथा कहाँ लिखी जाती है

तो सच ही होता होगा 
इतिहास केवल विजय गाथा ही होता होगा

.............

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by vijay nikore on September 2, 2019 at 4:19pm

अमिता जी, अच्छी रचना के लिए बधाई।

Comment by amita tiwari on August 29, 2019 at 1:03am

जनाब  कबीर साहब ,तथा मुसाफ़िर  जी 

तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ .आशा है स्नेह बनाए रखेंगे .

साभार 

अमिता 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 28, 2019 at 10:33am

बेतरीन रचना हुई है अमिता जी, हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on August 25, 2019 at 3:36pm

मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

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