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१. फुल स्टॉप .... ३ क्षणिकाएं

१. फुल स्टॉप .... ३ क्षणिकाएं

फुल स्टॉप
अर्थात
अंतिम बिंदु
अर्थात
जीवन रेखा का
जीवन बिंदु में विलय
अर्थात
समाहित हो गई
सूक्षम में
श्वास की लय

.......................

२. नो मोर ...

नो मोर
वन्स मोर
अंतिम छोर
उड़ गया पंछी
हर बंधन
पिंजरे के तोड़

.......................

३. रेखाएँ ....

रेखाएँ
हथेलियों की
मृत देह पर
जीवित देह सी रहीं
बस
जड़वत हो गया
उन्हें जीने वाला

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on May 18, 2019 at 6:26pm

आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on May 15, 2019 at 4:43pm

बधाई आदरणीय सारना जी

Comment by Sushil Sarna on May 11, 2019 at 3:38pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप जी सृजन पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 11, 2019 at 3:38pm

आदरणीय  डॉ छोटेलाल सिंह  जी सृजन पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 11, 2019 at 3:37pm

आदरणीय Hariom Shrivastava जी सृजन पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on May 9, 2019 at 7:57pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बेहतरीन क्षणिकाओं के लिए आपको बधाई। दवितीय के लिए विशेष बधाई। सादर

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 9, 2019 at 6:45am

आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन सच्चाई को पारिभाषित करती उत्तम क्षणिकाएं बहुत बहुत बधाई

Comment by Hariom Shrivastava on May 8, 2019 at 9:42pm

लाजवाब, वाह,वाहहहह। बधाई आदरणीय सारना जी। ...फुल स्टाप..नो मोर..

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