For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मृगतृष्णा-लघुकथा

"देखो आज का अखबार, एक लड़के ने जिसे कोई भी सहूलियत हासिल नहीं थी, राज्य सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. जिसे करना होता है ना, वह लैंप पोस्ट की रौशनी में भी पढ़ लेता है", पिताजी आज फिर उबल रहे थे. इस बार भी राकेश असफल हो गया, वह खुद बहुत उदास था.
"लक्ष्य तो निर्धारित करते नहीं ठीक से, बस साधनों का रोना रोते रहोगे. मुझे लगता था कि मेरे रिटायर होने से पहले मैं भी सुनूंगा कि एक बाबू का लड़का बड़ा अधिकारी बन गया. लेकिन जनाब को तो कोई मतलब ही नहीं है इन सब से", अभी तक उनका बड़बड़ाना जारी था.
पहले भी वह कई बार ऐसे भाषणों को सुन चुका था और वह नजरअंदाज करके रह जाता था. लेकिन इस बार तो आखिरी मौका था और उसने अपनी तरफ से काफी प्रयत्न भी किया था.
"पिताजी, आप जो उदाहरण गिनाते हैं, वह अपवाद में आते हैं, हर लड़का वैसा नहीं हो सकता. कोई भी रेस अगर बराबरी से हो तो ही हार जीत के मायने होते हैं. और यह आप भी जानते हो कि उस एक को छोड़कर, जिसका जिक्र अख़बार में हुआ है, बाकी अधिकांश लड़के या तो ऐसी जगहों से हैं जहाँ उनको तैयारी की तमाम अत्याधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं. या फिर वह किसी न किसी कोटे में आते हैं".
उसने एक सांस छोड़ी और पिताजी की तरफ देखा, वह भौचक्के से उसको देखे जा रहे थे. आजतक उसने कभी भी उनको पलटकर जवाब नहीं दिया था.
"पिताजी, जितना दुःख आपको है, उससे रत्ती भर भी कम दुःख मुझे नहीं है. लेकिन यह जो सिस्टम बना है, वह अपने आप में ही ठीक नहीं है. लाखों मेघावी लड़के कुछ सौ सीटों के लिए हर साल जूझते हैं, तो असफलता का प्रतिशत हमेशा बहुत ज्यादा ही होगा ना? मैं अब अपनी वकालत शुरू करूँगा और वहां एक बेहतर वकील बनने की पूरी कोशिश करूँगा", राकेश ने बात ख़त्म की और बाहर निकल गया.
पिताजी को आज यक़ीन होने लगा कि एक बाबू का बेटा भले एक सरकारी अफसर नहीं बन पाए, लेकिन एक संवेदनशील इंसान जरूर बन गया है.


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 505

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 13, 2019 at 1:13pm

बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी

Comment by TEJ VEER SINGH on May 8, 2019 at 10:58am

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।बेहतरीन लघुकथा।।

Comment by विनय कुमार on May 4, 2019 at 4:17pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब

Comment by विनय कुमार on May 4, 2019 at 4:16pm
Comment by Samar kabeer on May 3, 2019 at 11:34am

जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on May 2, 2019 at 6:42pm

आद0 विनय कुमार जी सादर अभिवादन। अच्छी लघुकथा लिखी आपने। इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service