For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: लगता है इस साल सनम कटनी तन्हाई मुश्किल है  ... (१० )

( २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २ )

.

लगता है इस साल सनम कटनी तन्हाई मुश्किल है 
बीते लम्हों के सहरा से हैफ़* ! रिहाई मुश्किल है (*हाय-हाय ,अफ़सोस  )
***
ख्वाब तसव्वुर ख़त मौसम ये चाँद बहाने कितने हैं 
तेरी यादों के लश्कर से यार जुदाई मुश्किल है 
***
माना ग़म की मार पड़ी है चारों खाने चित्त हुआ 
कैसे भी हों मेरे अब हालात गदाई* मुश्किल है (*भिक्षावृति )
***
अपनों ने धोका कर डाला लूट भरोसे की दौलत 
मेरे मुख  से उनकी फिर भी आज बुराई मुश्किल है 
***
हिम्मत क़ायम रक्खी तब भी जब मंज़िल के रस्ते पर 
बीच सफर में रहबर बोला-" राह-नुमाई मुश्किल है "
***
कितनी कोशिश कर लें चाहे लोग हुकूमत करने की 
आ जाएगी यार किसी के हाथ ख़ुदाई मुश्किल है 
***
लीपापोती ख़ूब भले कर लो तुम नक़ली रंगो से 
जो बख़्शी है रब ने वैसी तो रानाई* मुश्किल है (*सौंदर्य )
***
कैसा खेल नसीबों का वो लोट लगाए नोटों पर 
पर अफ़सोस ख़ुदा मुफ़लिस को पाई पाई मुश्किल है 
***
क्या बिखराए रंग ज़मीँ पर क़ुदरत ने देखो सारे 
ख़त्म 'तुरंत' अगर करते उनकी भरपाई मुश्किल है 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी 
०४ /०१/२०१९

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 8, 2019 at 10:17am

आदरणीय Mahendra Kumar जी ,

हार्दिक आभार और अभिनंदन आपका।

Comment by Mahendra Kumar on January 7, 2019 at 8:03pm

कितनी कोशिश कर लें चाहे लोग हुकूमत करने की 
आ जाएगी यार किसी के हाथ ख़ुदाई मुश्किल है      ....सामयिक शेर!

बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by राज़ नवादवी on January 6, 2019 at 4:43pm

आपका स्वागत है ब्रदर. सादर 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 6, 2019 at 2:33pm

तह-ए-दिल  से  शुक्रिया  क़बूल  करें  खादिम  का   राज़ नवादवीसाहेब . ज़र्रा -नवाज़ी  है  आपकी  |

Comment by राज़ नवादवी on January 6, 2019 at 1:31pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत साहब, आदाब. बहुत ख़ूब फरमाया है आपने, शेर दर शेर काबिले दाद. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति मुबारक हो. सादर

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 5, 2019 at 10:19pm

आदरणीय Samar kabeer  साहेब ,आदाब | आपके हौसला आफजाई के लफ़्ज़ों के लिए शुक्रगुज़ार हूँ | जी ,हैफ़ का अर्थ लुग़त में हा,आह ,हाय-हाय ,अफ़सोस ही लिखा है | मुझसे एक हाय लिखना छूट गया | मेरा मक़सद भी अफ़्सोस का अर्थ बतलाना ही था | क्योंकि हाय का अर्थ सही नहीं लग रहा था | आपकी दूसरी इस्लाह भी जियादा मुफ़ीद है | बहुत बहुत दिल से आभार | 

Comment by Samar kabeer on January 5, 2019 at 8:15pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

बीते लम्हों के सहरा से हैफ़* ! रिहाई मुश्किल है (*हाय )'

इस मिसरे में 'हैफ़' शब्द का अर्थ आपने 'हाय' लिखा है,जबकि 'हैफ़', का सहीह अर्थ है "अफ़सोस" देखियेगा ।

' लीपापोती ख़ूब भले कर लो तुम नक़ली रंगो की'

इस मिसरे में अंतिम शब्द 'की' की जगह "से"ज़ियादा मुनासिब होगा । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
Saturday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service