For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो कवितायें मुक्तछंद

मौसम

धूप की तपन

विदा होने को तैयार

नन्ही कोपलों के फूटने का

पौधों को इंतजार

छांह को ढोते बादल

अब बूंदें चुराएँगे

इस कालचक्र के बीच

मौसम बदल जाएंगे ।

 

सीप

 

चमकते मोती

पलते सीप के सीने में

पिरोये जाकर धागों में

शोभा बढ़ाते गले की शान से

छुपाकर रखा मोती को

दर्द सजाकर सीने में

छाती चीरकर दिया उपहार

विस्मृत रहा फिर भी

हमेशा ही सीप

 

... मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 813

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 9, 2018 at 5:50pm

आदरणीया नीलम जी अति सुंदर रचनाएँ हैं ..दूसरी रचना बहुत अच्छी लगी ...समाज की बास्त्विकता को उजागर करती शानदार रचना ..इस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें  सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 8, 2018 at 8:29pm

बहुत सुन्दर भाव भरी कवितायेँ आदरणीया...

Comment by Neelam Upadhyaya on October 8, 2018 at 11:44am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, कविता पर समय देने के लिए बहुत बहुत आभार।  

Comment by Neelam Upadhyaya on October 8, 2018 at 11:43am

आदरणीय  लक्ष्मण धामी जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत आभार।  

Comment by Neelam Upadhyaya on October 8, 2018 at 11:42am

आदरणीय  डॉ छोटे लाल  जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत आभार।  

Comment by Neelam Upadhyaya on October 8, 2018 at 11:41am

आदरणीय श्याम जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत आभार।  

Comment by Neelam Upadhyaya on October 8, 2018 at 11:40am

आदरणीय समर कबीर जी,  कविता के लिए समय देने के लिए बहुत बहुत आभार।  पोस्ट में करेक्शन करने का प्रयास किया। लेकिन इस मामले में मैं अधिक सिद्धहस्त नहीं हूँ।  अतः वर्तनी में सुधार  कर उसे पुनः पोस्ट नहीं कर पा रही हूँ।  आप मुझे गाइड करें। 
 

Comment by Neelam Upadhyaya on October 8, 2018 at 11:31am

आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी, कविता के लिए समय देने के लिए धन्यवाद। 

Comment by TEJ VEER SINGH on October 7, 2018 at 10:40am

हार्दिक बधाई आदरणीय नीलम जी। बेहतरीन कवितायें।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 7, 2018 at 5:23am

आ. नीलम जी , सुंदर रचनायें हुयी हैं । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service