For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

असली विसर्जन- लघुकथा

उसको आये लगभग आधा घंटा हो चुके थे, रोज की तरह आज भी आने में देर हो गयी थी. दिन पर दिन काम का बढ़ता बोझ और ऊपर से नया बद्तमीज बॉस, रात होते होते ही वह छूट पाता था. हमेशा गुस्से में रहने वाला उसका दिमाग अब तो और भी गरम रहता, शाम को आने के बाद कोई उसके पास भी नहीं फटकता था. अकेले टी वी के सामने बैठकर चाय पीना और घटिया सीरियल देखकर समय काटना उसकी दिनचर्या बन गयी थी. लेकिन आज गणपति विसर्जन और उससे जुड़े कार्यक्रम उसको काफी सुकून दे रहे थे.
दूसरे कमरे में रिंकी अपनी माँ के पास खड़ी थी, दोनों की हालत खराब थी कि जैसे ही पापा लैपटॉप मांगेंगे, क्या जवाब देंगी. आज दोपहर में लैपटॉप गिरकर टूट गया था और उसको बनने में काफी पैसा और समय लगने वाला था. माँ रिंकी को झूठी दिलासा दे रही थी कि चिंता मत कर, मैं संभाल लूंगी.
"रिंकी, जरा लैपटॉप तो लाना", आवाज़ सुनते ही पहले उसकी पत्नी कमरे में आयी. उसने एक नजर उसकी तरफ देखा और फिर चिल्लाया "रिंकी, सुनाई नहीं दिया क्या?"
"दरअसल आज लैपटॉप खराब हो गया है, मुझसे ही गिर गया", पत्नी ने अटकते हुए कहा.
जब उसको समझ में आया तो उसका खून बुरी तरह खौल गया. इतना महंगा लैपटॉप, अभी कुछ ही महीने पहले लिया था. एकदम से वह गुस्से में कांपते हुए खड़ा हुआ और उसके मुंह से बहुत खराब गाली निकलने वाली थी कि वह ठिठक गया. अभी टी वी में कोई व्यक्ति बता रहा था कि अपनी गलत आदतों का विसर्जन भी उतना ही जरुरी है जितना गणपति का.
कुछ मिनट वह वैसे ही खड़ा रहकर वापस सोफे पर बैठ गया. पत्नी घबराई हुई उसे देख रही थी तभी उसने बहुत शांत लहजे में कहा "पिंकी बेटी, उसको बनने के लिए दिया कि नहीं. टूट गया तो क्या, बन जायेगा".
पत्नी को कुछ समझ में नहीं आया, पिंकी भी कमरे से निकलकर उसके सामने आ खड़ी हुई. उसने उठकर पिंकी का सर सहलाया और मुस्कुराते हुए पत्नी का हाथ अपने हाथ में लेकर दबा दिया.
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 851

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 19, 2018 at 11:40am

आ. भाई विनय जी, अच्छी कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on September 18, 2018 at 6:59pm

आदरणीय विनय कुमार जी सुंदर और संदेशप्रद लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई हाँ अगर थोड़ी सी कसावट और होती तो भाव सौंदर्य बढ़ जाता। आधा घंटा हो चुके थे ... इसमें शायद चुके के स्थान पर चुका होना चाहिए , देख लीजिये।

Comment by विनय कुमार on September 18, 2018 at 6:14pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम गंगा धर शर्मा साहब

Comment by विनय कुमार on September 18, 2018 at 6:13pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम शेख शहज़ाद उस्मानी साहब

Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on September 18, 2018 at 5:32pm

आदरणीय विनय जी , प्रेरणा प्रदान करती  लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई....

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 18, 2018 at 5:02pm

बहुत ही समसामायिक बेहतरीन सबक़ देने वाली विचारोत्तेजक रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार साहिब। बाद में थोड़ा और समय देकर तनिक कसावट आप कर ही लेंगे। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service