For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है दूर मंज़िल घना तिमिर है------ग़ज़ल, इस्लाह की गुजारिश के साथ

12122 12122 12122 12122

है दूर मन्ज़िल तिमिर घनेरा, अगर कलम की डगर कठिन है
नहीं थकेंगे कदम हमारे हमारा व्रत भी मगर कठिन है

चलो उठाओ तमाम बातें जवाब सारा कलम ही देगी
चले भले ही कदम अभी कम पता है हमको सफर कठिन है

मना ले जश्नां उड़ा मज़ाकाँ ज़माने दूँगा सलाम लाखों
सलाम वापस इधर ही होंगे हालाँकि तुमसे समर कठिन है

न पूछ काहें मैं अक्षरों की ये धार सब पर बिखेरुँ पल पल
है इक हिमालय यहाँ भी ग़म का सो आँसुओं की लहर कठिन है

दुआएं उनको जो साथ में हैं दुआ उन्हें भी जो घात पर हैं
मगर नहीं हूँ हताश किंचित प्रयास का हर असर कठिन है

यूँ ही सरोवर में खिल गया हो ये ऐसा पंकज नहीं कदाचित
निगाह जिसमें नहीं हो पानी वहाँ पे इसका बसर कठिन है

मौलिक-अप्रकाशित

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 5, 2018 at 11:03pm

आदरणीय शेख शहज़ाद सर बहुत बहुत आभार

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 5, 2018 at 9:48pm

अंधकार में दूर लक्ष्य और कलम का साथ और सतत प्रयास। बेहतरीन सृजन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा  'वात्स्यायन' साहिब।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2018 at 9:55pm

आदरणीय बाऊजी प्रणाम।

आपके सुझाव के अनुरूप सुधार करता हूँ

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2018 at 9:53pm

आदरणीय अजय जी बहुत आभार

Comment by Samar kabeer on September 13, 2018 at 3:14pm

मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।

Comment by Ajay Kumar Sharma on September 13, 2018 at 3:10pm

परम् आदरणीय कबीर सर क्षमा प्रार्थी हूँ. आइन्दा से इस बात काखयाल रखूँगा. 

Comment by Samar kabeer on September 13, 2018 at 3:06pm

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले के दोनों मिसरों में "गर" के क़वाफ़ी दोषपूर्ण हैं, किसी एक मिसरे का क़ाफ़िया बदलने का प्रयास करें ।

Comment by Samar kabeer on September 13, 2018 at 2:56pm

//

बहुत सुन्दर रचना...

हार्दिक बधाई...//

भाई अजय कुमार शर्मा जी,इतनी छोटी टिप्पणी देना ओबीओ की परिपाटी नहीं है,ऐसा सोशल मीडिया पर चलता है, यहाँ नहीं,यहाँ पहले रचनाकार को आदर से सम्बोधित करते हैं,फिर उसकी रचना के गुण दोष बताये जाते हैं,कृपया मंच की गरिमा का ध्यान करें यही निवेदन है ।

Comment by Ajay Kumar Sharma on September 12, 2018 at 1:35am

बहुत सुन्दर रचना...

हार्दिक बधाई...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service