For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दू - मुस्लिम का कहें, एक रंग है खून.
हिन्दू हिन्दू में फरक, क्यों करता कानून.
सबके दो हैं हाथ, पाँव भी सबके दो हैं.
नाक सभी के एक, सूँघते जिससे वो हैं.
नयन जिसे भी मिले,जगत के दर्शन करता.
कान और मुँह से, सुनता - वर्णन करता.
सात दिन मिले सभी को, हफ्ते में एक समान.
विद्यालय में गुरु सभी को, देता ज्ञान समान.
अन्न नहीं करता देने में, ताकत कोई भेद.
मनु के पुत्र सभी मनुष्य हैं, कहते सारे वेद.
सूरज सबके लिए चमकता, सबको राह दिखाता.
श्वांस सभी पवन से पाते, जो है जीवन-दाता.
पानी पावक तथा पवन, धरती और गगन.
सबको मिलते उतने, जितना किया जतन.
प्रकृति का है न्याय, कर्म बिन फल ना देती.
हक़ लायक को मिले, ये दखल न देती.
ऐसा ही हो जाये तो, संसार सुधर जायेगा.
हर भेदभाव से उठकर, ये देश सँवर जायेगा.
'हिन्दुस्तान' ह्रदय में मेरे, करुणा भरी अपार.
हिन्दू-मुस्लिम, ऊँच-नीच का, इसमें नहीं विचार.
गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान'
अजमेर (राज.)

मौलिक एवम् अप्रकाशित 

Views: 429

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' on August 30, 2018 at 12:45pm

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, कुशक्षत्रप जी, लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी एवं समर कबीर साहब...आप सबका तहे दिल से शुक्रिया...कुशक्षत्रप जी एवं समर कबीर साहब के द्वारा शिल्पगत जिज्ञासा के सन्दर्भ में बताना चाहूँगा कि यह रचना एक भाव प्रवाह मात्र है जिसे विधा के बन्धनों से मुक्त रखा गया है....आप गुणीजन चाहें तो इसे मुक्त छंद/बहु छंद/छंद समूही जैसे किसी नाम की सीमा में बांध सकते हैं...अथवा अन्य किसी खाके में इसे समाहित किया जा सकता हो तो कृपया मेरा मार्गदर्शन कर अनुगृहीत करें...

Comment by Samar kabeer on August 27, 2018 at 3:06pm

जनाब गंगा धर शर्मा जी आदाब,ये प्रस्तुति किस विधा में है? बताने का कष्ट करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2018 at 9:58am

सुंदर भाव के लिए हार्दिक बधाई...

Comment by नाथ सोनांचली on August 26, 2018 at 1:38pm

आद0 गंगाधर शर्मा जी सादर अभिवादन। कविता में बातें बहुत उम्दा कही है आपने। मेरी बधाइयां आपको। पर एक बात पूछना चाहूँगा की इस रचना का शिल्प क्या है क्योकि बिना शिल्प जाने गुण दोष पर टिप्पणी करने सम्भव नहीं। सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 26, 2018 at 1:04pm

"हम सुधरेंगे, लोकतंत्र सुधरेगा; दुनिया सुधरेगी!" - समसामयिक माहौल पर बेहतरी प्रेरक अभिव्यक्ति से सराबोर रचना। हार्दिक बधाई जनाब गंगाधर शर्मा  साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service