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स्वतंत्रता दिवस पर ३ रचनाएं :

स्वतंत्रता दिवस पर ३ रचनाएं :

एक चौराहा
लाल बत्ती
एक हाथ में कटोरा
भीख का
एक हाथ में झंडा बेचता
कागज़ का
न भीख मिली
न झंडा बिका
कैसे जलेगा
चूल्हा शाम का
क्या यही अंजाम है
वीरों के बलिदान का

सुशील सरना
.... .... ..... ..... ..... ..... ....

हाँ
हम आज़ाद हैं
अब अंग्रेज़ नहीं
हम पर
हमारे शासन करते हैं
अब हंटर की जगह
लोग
आश्वासनों से
पेट भरते हैं
महंगाई,भ्रष्टाचार
और
रोटी की
मरीचिका में जीते हैं
और उसी में मरते हैं

सुशील सरना
.... ..... ...... ...... ...... ...


ये किस दीमक ने
अपने घर को कमजोर कर दिया
शहीदों की कसमें
किर्चियों सी बिखरने लगीं
उनका सपना
एक सपना बन कर रह गया
कल
वीरों ने कसमें खाईं तो
आज़ादी भी दिलवाई
आज के दिन
एक कसम
हम भी खाएं
भ्रष्टाचार की दीमक से
हिन्दुस्तान बचाएं
अपने हिन्दुस्तान को
भीख मुक्त बनाएं
शहरी सैनिक बन कर हम
अपना फ़र्ज़ निभाएं
भूले जो वीरों की कसमें
उनको हम दोहराएं
जय हिन्द के नारे से हम आज
तिरंगे को फहराएं

सुशील सरना
मौलिक एवं अपक्राशित

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 16, 2018 at 1:18pm

आ. भाई सुशील जी , तीनों रचनाएं सुन्दर और सार्थक हैं। आज़ादी के बाद भी भूख , ग़रीबी नहीं मिटी है ।देेश के कर्णधार नितांंत स्वार्थी हो गये है ।इस सब को उजागर करती रचना केलिए हार्दिक

बधाई।

Comment by Mohammed Arif on August 16, 2018 at 8:16am

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                        आज़ादी के बाद भी भूख , ग़रीबी नहीं मिटी है । समस्याएँ जहाँ की तहाँ है । रोज़ नई-नई घोषणाएँ होती है मगर ग़रीब ईनसे अभी भी बहुत दूर है । भय का वातावरण बनाकर कुछ दुष्ट गुर्गें एक वर्ग विशेष को परेशान करने पर आमादा है । लगता है पिशाच बनते जा रहे हैं । हार्दिक बधाई इन कटाक्षपूर्ण रचनाओं के लिए ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 15, 2018 at 5:27pm

आदरणीय सुशील सरना जी , तीनों रचनाएं सुन्दर और सार्थक हैं , आज़ाद तो हम हुए पर आज़ादी अभी भी पूरी नहीं मिली। बधाई, सादर।

Comment by babitagupta on August 15, 2018 at 3:15pm

देश और देशवासियों ,देश के कर्ण धारों की सोच ,हालातों को ब्यान करती बेहतरीन रचनाये,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

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