For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नजरे झुकाये बैठे हैं- ग़ज़ल

आप महफिल में आये बैठे हैं
फिर भी नजरें  झुकाये बैठे हैं

मसअला ये कि मेरी बात से वो
अब  तलक़  खार  खाये  बैठे हैं

मुझको तो याद भी नहीं और वो
बात  दिल  से  लगाए  बैठे  हैं

हम तो करते नहीं कभी पर्दा
वो ही चिलमन गिराए बैठे हैं

हमने हर चीज याद रक्खी है
जाने  वो  क्यूँ  भुलाए बैठे हैं

हर तरफ दौर है ठहाकों का
और वो मुंह  फुलाए  बैठे हैं

बात दर अस्ल थी बहुत छोटी
वो  बड़ी  सी  बनाए  बैठे  हैं !!

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 495

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on August 6, 2018 at 11:11am

बहुत बहुत आभार आ बसंत कुमार शर्मा जी।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 5, 2018 at 11:59am

वाह क्या कहने शानदार गजल, आदरणीय समर कबीर जी की इस्लाह लाजबाब, आनंद आ गया आदरणीय 

Comment by Samar kabeer on August 5, 2018 at 10:37am

मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।

Comment by विनय कुमार on August 4, 2018 at 6:36pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब इस तरह से मेरी त्रुटियों को इंगित करने और सुधार करने के लिए. अभी सुधार कर देता हूँ, पुनः आभार

Comment by विनय कुमार on August 4, 2018 at 6:35pm
बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी हौसला अफजाई के लिए
Comment by Samar kabeer on August 4, 2018 at 6:09pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'आज महफिल में आये बैठे हैं'

इस मिसरे में 'आज' की जगह "आप" करना उचित होगा ।

'एक मसले में मेरी बातों से'

इस मिसरे में सहीह शब्द है "मसअला" इसलिये इस मिसरे को यूँ कर लें:-

'मसअला ये कि मेरी बात से वो'

मुझे तो याद नहीं वो अब तक'

इस मिसरे को यूँ करना उचित होगा :-

'मुझको तो याद भी नहीं और वो'

'वो बिना  मुस्कुराए  बैठे हैं'

इस मिसरे को यूँ करना उचित होगा:-

'और वो मुंह फुलाए बैठे हैं'

'दरअसल बात बड़ी छोटी थी'

इस मिसरे में सही शब्द है "दर अस्ल',इसलिये मिसरा यूँ कर लें:-

'बात दर अस्ल थी बहुत छोटी'

बाक़ी शुभ शुभ ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 4, 2018 at 11:35am

हाएदिक बधाई आदरणीय विनय जी।बेहतरीन गज़ल।

एक मसले में मेरी बातों से
अब तलक़ खार खाये बैठे हैं

मुझे तो याद नहीं वो अब तक 
बात  दिल  से  लगाए  बैठे  हैं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service