For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 2121 1221 212

इन्साफ का हिसाब लगाया करे कोई।
होता कहीं तलाक़ हलाला करे कोई।।

उनको तो अपने वोट से मतलब था दोस्तों ।
जिन्दा रखे कोई भी या मारा करे कोई।।

मजहब को नोच नोच के बाबा वो खा गया ।
बगुला भगत के भेष में धोका करे कोई ।।

लूटी गई हैं ख़ूब गरीबों की झोलियाँ ।
हम से न दूर और निवाला करे कोई ।।

सत्ता में बैठ कर वो बहुत माल खा रहा ।
यह बात भी कहीं तो उछाला करे कोई ।।

आ जाइये हुजूर जरा अब ज़मीन पर ।
कब तक ज़मीं से चाँद निहारा करे कोई ।।

ख़ुशियाँ हज़ार लौट के आ जायेंगीं ज़रूर ।
थोड़ा सा बस्तियों में उजाला करे कोई ।।

मंदिर में सर झुकाएं या मस्ज़िद में सज़दा हो ।
लेकिन ख़ुदा को दिल में भी ढूढा करे कोई ।।

इतना भी मत सहो कि सितम दिलही तोड़ दे ।
तुमको यतीम जान सताया करे कोई ।।

इजहारे इश्क़ आप नही कीजिये जनाब ।
इस उम्र में न साथ गुजारा करे कोई ।।

वो मैकदे को पी के लियाकत दिखाएंगे ।
बस मुफ्त में ही जाम पिलाया करे कोई ।।

बूढा हुआ है बाप ज़रा शर्म तो करो ।
कब तक तुम्हारा बोझ उठाया करे कोई ।।

नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अप्रकाशित

Views: 703

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on July 14, 2018 at 10:58am
इस उम्दा ग़ज़ल के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर 
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 13, 2018 at 5:17pm

आ0 बसन्त कुमार साहब बहुत बहुत आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 13, 2018 at 5:16pm

आदारणीया नीलम उपाध्याय जी सादर नमन रचना तक आने के लिए सप्रेम आभार ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 13, 2018 at 4:34pm

वाह बेहद लाजबाब रचना आदरणीय, आनन्द आ गया 

Comment by Neelam Upadhyaya on July 13, 2018 at 3:43pm

आदरणीय  नवीन मणि त्रिपाठी जी, नमस्कार।  सम-सामयिक विषय पर बहुत ही शानदार  रचना के लिए मुबारकबाद।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service