For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (हो गई उनकी महरबानी है)

(फाइलातुन _मफाइलुन_फेलुन)

कोई मुश्किल ज़रूर आनी है |
हो गई उनकी महरबानी है |

तिशनगी जो बुझाए लोगों की
तुझ में सागर कहाँ वो पानी है |

और मुझ से वो हो गए बद ज़न
बात यारों की जब से मानी है |

खा गई घर का चैन मँहगाई
उनकी जिस दिन से हुक्म रानी है |

ज़ख्म तू ने दिए हैं ले कर दिल 

जुल की फितरत तेरी पुरानी है |

इंक़लाब आए क्यूँ न बस्ती में
उन पे आई गज़ब जवानी है |

तरके उल्फत करें वही तस्दीक 

मुझको तो दोस्ती निभानी है |

(मौलिक व अप्रकाशित ) 

Views: 855

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 19, 2018 at 9:20pm

जानेमन-----बेईमान-----मात्रा गिराना कुछ शंका है।। सुधिजन कुछ कहें ,,,,,,

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 7:15pm

जनाब गुमनाम साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया | जानेमन पूरा एक शब्द है जिसका मतलब महबूब होता है और बे ईमानी में एक मात्रा गिरा कर बे इमानी किया गया है |शायद शंका समाधान हो गया होगा |

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 19, 2018 at 6:41pm

वाह खूब गज़ल हुई है ,,, एक बात पर शंका है समाधान करें, जानेमन और बेईमानी को क्या जाने मन ,,,,, बे इमानी ,,, लिखा जा सकता है । सुधि जान भी शंका समाधान करें।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 1:57pm

मुहतरम जनाब तेज वीर साहिब  , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 1:56pm

मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आ दाब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by TEJ VEER SINGH on June 19, 2018 at 1:22pm

हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।लाज़वाब गज़ल।

खा गई घर का चैन मँहगाई 
उनकी जिस दिन से हुक्म रानी है |

Comment by Mohammed Arif on June 19, 2018 at 12:39pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,

                    शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service