For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पतझड़ -  लघुकथा –

पतझड़ -  लघुकथा –

केशव ने जैसे ही अपने घर के बाहर लगे पेड़ के नीचे से अपना साईकिल रिक्शा उठाया, उसके पड़ोसी रहमान ने उसका हाथ पकड़ लिया,

"यह क्या कर रहे हो केशव? कल तुम्हारे पिता का देहांत हुआ है और आज तुम रिक्शा लेकर काम पर चल दिये"?

"भाई, मेरे रिक्शा ना चलाने से जाने वाला  तो वापस नहीं आयेगा। लेकिन भूख प्यास से मेरे बच्चे भी मेरे पिता की तरह मुरझा जायेंगे"|

" हम लोग क्या मर गये हैं? इतने बेगैरत नहीं कि दो चार दिन अपने पड़ोसी के बच्चों को खाना भी ना दे सकें"?

"मुझे गर्व है आप जैसे पड़ोसी पर। पर कब तक ऐसा चलेगा"?

"भाई, कम से कम तेरह दिन तो शोक रखना ही चाहिये"|

"माफ़ करना भाई। यह खोखले रीति रिवाज़ केवल एक ढकोसला मात्र हैं"|

"नहीं भाई ऐसा मत कहो? सदियों से हमारे पुरखों द्वारा स्थापित हैं ये रीति रिवाज़। कुछ तो इनका सामाजिक मूल्य होगा ही"?

"भाई, आपको याद है, दो साल पहले यह पेड़ कितना हरा भरा था। ऐसे ही हमारा परिवार भी खुश हाल था। मेरी माँ इस पेड़ के नीचे चारपाई डाल कर चिड़ियों को दाने खिलाती थी"।

"वह भी कोई भूलने की बातें हैं"।

"और आज देखो जैसे यह पेड़ सूख गया वैसे ही मेरा परिवार भी मुरझा गया"।

"वह सब भूल जाओ, केशव जी"।

"इतना आसान नहीं है भूलना। मेरे पिता एक ईमानदार और उसूलों के पक्के सरकारी मुलाज़िम थे।चंद बेईमान लोगों ने उन्हें झूठे षडयंत्र में फ़ंसाकर नौकरी से निकलवा दिया। पिता वह सदमा नहीं झेल पाये और शराब के आदी हो गये। कर्ज़दार होते चले गये। घर के बिगड़ते हालातों ने माँ की जान ले ली। तभी से परिवार मुरझाता चला गया”|

"अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा भाई। ऊपरवाले पर भरोसा रखो"।

"भाई, इतनी सारी पढ़ाई की डिग्रियाँ हासिल करने के बाद भी, पिता की बिगड़ी इमेज के कारण नौकरी नहीं मिली। मजबूरी में रिक्शा चलाता हूँ। मेरी दशा भी इस सूखे पेड़ जैसी हो गयी है”|

“सच कहते हो केशव भाई, मुसीबत रूपी पतझड़ पेड़ों को ही नहीं इंसानों को भी सुखा देता है”|

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 822

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on June 15, 2018 at 2:30pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । अच्छी, संवेदनशील कथानक पर बढ़िया लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 15, 2018 at 10:49am

हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 15, 2018 at 10:48am

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 15, 2018 at 10:48am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Shyam Narain Verma on June 15, 2018 at 10:25am
बहुत उम्दा , बधाई इस लघुकथा के लिए ..
Comment by Mohammed Arif on June 15, 2018 at 10:14am

बेहतरीन कथानक पर बुनी गई कथा । हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 15, 2018 at 5:54am

'साइकल -रिक्शा'

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 15, 2018 at 5:52am

ऐसे वार्तालाप अक्सर ऐसे पीड़ितों द्वारा होते हुए सुने जाते हैं। बेहतरीन कथानक पर बेहतरीन  संदेश वाहक उम्दा सृजन व शीर्षक के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह  साहिब।

केवल इतना कहूंगा कि पोस्ट करने से पहले इसके पूरे नहीं, तो किसी एक पात्र के संवाद बोलचाल वाली शैली या किसी क्षेत्रीय भाषा में कर देते, तो रोचकता व आकर्षण बढ़ जाता मेरे विचार से। इसी प्रकार उत्तरार्ध के दो लंबे संवाद दो भागों में किसी तरह बांटे जा सकते हैं। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service