For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या सबब था...संतोष

अरकान फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

क्या सबब था,किसलिये दुनिया से मैं डरता रहा
सर झुका कर जिसने जो भी कह दिया करता रहा


सी दिया था मेरे होटों को ज़माने ने मगर
ज़िक्र सुब्ह-ओ-शाम तेरा फिर भी मैं करता रहा


ज़िन्दगी के रास्ते में ज़ख़्म जो मुझको मिले
चुपके चुपके प्यार के मरहम से वो भरता रहा


जाते जाते वो मुझे कह कर गये थे इसलिये
लम्हा लम्हा ज़िन्दगी जीता रहा मरता रहा


सादगी की मैंने ये क़ीमत चुकाई उम्र भर
जुर्म कोई और करता दण्ड में भरता रहा

~संतोष_खिरवड़कर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on June 8, 2018 at 3:14pm

शुक्रिया आ. गुमनाम जी 

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 8, 2018 at 1:26pm

खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई.........

Comment by santosh khirwadkar on June 7, 2018 at 5:20pm

आभार आ.लक्ष्मण जी 

Comment by santosh khirwadkar on June 7, 2018 at 5:19pm

शुक्रिया आ.महेंद्र जी 

Comment by santosh khirwadkar on June 7, 2018 at 5:19pm

धन्यवाद रोहित जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 7, 2018 at 11:05am

आ. भाई संतोष जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Mahendra Kumar on June 6, 2018 at 10:25am

आदरणीय संतोष जी, बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए.

1. दूसरा शेर और बेहतर हो सकता है.

2. सादगी की मैंने ये क़ीमत चुकाई उम्र भर
    जुर्म कोई और करता क़र्ज़ मैं भरता रहा

सादर.

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on June 5, 2018 at 7:54pm

kya baat hai ! Lajavab kavita !

Comment by santosh khirwadkar on June 5, 2018 at 7:08pm

धन्यवाद आ.चौहान जी 

Comment by santosh khirwadkar on June 5, 2018 at 7:07pm

शुक्रिया आ.आरिफ़ साहब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service